भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का शुक्रवार को लास्ट वर्किंग डे था। डीवाई चंद्रचूड़ 10 नंवबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 2 साल भारत के सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले डीवाई चंद्रचूड़ ने कई बड़े फैसले किए हैं, जैसे- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के तरीके को वैध करार देना और इलेक्टोरल बॉन्ड को रद करने तक कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। आइए एक नजर डालते हैं मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के किए गए कुछ ऐतिहासिक फैसलों पर-
अनुच्छेद 370 को हटाना बताया संवैधानिक:
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फैसले को वैध करार दिया था। आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देते था।
भारत की संसद ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को समाप्त करने प्रस्ताव को संवैधानिक रूप से स्वीकृति दे दी थी।
इलेक्टोरल बॉन्ड पर चलाया चाबुक:
CJI की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड को देश के साथ गद्दारी करार देते हुए रद्द कर दिया था।
संवैधानिक पीठ ने मामले में आदेशित करते हुए SBI को चुनावी बॉन्ड को जनता के बीच में जारी करने और भारतीय चुनाव आयोग को अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए किसको कितना चंदा मिला है उसे अपलोड करने को कहा, जिसके बाद से ही जनता की नजरों में ये फैसला बीजेपी की कमर तोड़ने वाला करार दिया गया।
कारागारों में भेदभाव पर लगाई रोक:
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में कारागारों के अंदर कैदियों के साथ होने वाले भेदभाव पर भी रोक लगाई गई। 3 जजों की पीठ ने कारागारों के अंदर जाति-आधारित होने वाले भेदभाव को भारतीय संविधान के विरुद्ध बताया था, साथ में जेल मैनुअल को तत्काल प्रभाव से बदलने का आदेश दिया था। उस पीठ ने अपने आदेश में साफ-साफ कहा था कि जेल के अंदर जाति के आधार पर काम का आवंटन करना भारतीय संविधान के खिलाफ है।
बाल विवाह के मामले पर दिया निर्देश:
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने देश में बाल विवाह में वृद्धि पर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 को गंभीरता से लागू करने का निर्देश दिया था।
धारा 6A नागरिकता कानून को वैध करार दिया:
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक बड़ा फैसला लिया गया। 5 जजों की बेंच ने 4-1 के बहुमत के साथ नागरिका अधिनियम, साल 1955 की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था।
आपको बता दें कि धारा 6A, असम और बांग्लादेश से आए प्रवासियों की नागरिकता से जुड़ी है।
NEET-UG की परीक्षा दोबारा कराने की अनुमति से इंकार:
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में संवैधानिक पीठ ने NEET-UG 2024 की परीक्षा को रद्द करने या फिर दोबारा कराने की मांग को नकार दिया था।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि, “ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है जिसके आधार पर परीक्षा को रद्द किया जाए या फिर ये मान लिया जाए कि व्यवस्था दम तोड़ दी है” ।
हिंडनबर्ग और अडानी के बीच विवाद:
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक पीठ ने हिंडनबर्ग और अडानी के बीच हुए विवाद में जांच के लिए SIT का गठन करने और शेयर बाजार से संबंधित विशेषज्ञों का समूह बनाने से इंकार कर दिया था। इस दौरान पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट शब्दों में कहा था कि, हम किसी तीसरे पक्ष के संगठनों की तरफ से तैयार की गई रिपोर्ट को एक सबूत के रूप में नहीं मान सकते हैं।
सांसदों और विधायकों पर गड़ाई नजर:
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने देश की सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को निर्देशित करते हुए कहा था कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ जो मामले सालों से लंबित है उन्हें वो स्वयं सुनकर जल्द से जल्द इसका निस्तारण कराएं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि, अगर कोई सांसद-विधायक आपराधी साबित होता है तो स्वत: संज्ञान लेकर मामले में FIR दर्ज कराएं।
मणिपुर में महिलाओं पर अत्याचार पर हुए आग बबूला:
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने मणिपुर में हुई वीभत्स घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे। महिला को नग्न कर घुमाने के वायरल वीडियो के बाद CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने इसे असंवैधानिक करार दिया था। साथ ही उन्होंने राज्य सरकार और हाईकोर्ट को मामले में फटकार भी लगाई थी।
अपने विधाई भाषण में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने भावुकता के साथ माफी मांगते हुए साफ-साफ कहा कि, “अगर मेरे से कोई गलती हुई तो माफी चाहूंगा, जरूरत मंदों की सेवा करने से बड़ा कोई एहसास नहीं” ।
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