दिल्लीः सियासत में जो दांव चल जाता है उसे ट्रंप कार्ड कहा जाता है और जो फेल हो जाता है वो फिर मंथन की ओर प्रस्थान कर लेता है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी एक कार्ड खेला था जिसको ब्राह्मण कार्ड के नाम से जाना जाता है।

मायावती के ब्राह्मण कार्ड का असर कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें पूर्ण बहुमत के साथ यूपी का मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अब विधानसभा चुनाव फिर सिर पर है और मायावती को विरोधी दूध में मक्खी मानकर चल रहे हैं। ऐसे में मायावती ने एक बार फिर अपने तरकश से पुराना तीर निकाला है.

बसपा सुप्रीमो ने पूरे यूपी में ब्राह्मण सम्मेलन करने का फैसला किया है और इसकी शुरुआत प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या से की जा रही है। मायवती ने इसकी जिम्मेदारी अपने ‘चित्रगुप्त’ सतीश चन्द्र मिश्रा को दी है।

ब्राह्मण सम्मेलन का नाम बदलकर ‘प्रबुद्ध वर्ग संवाद सुरक्षा सम्मान विचार गोष्ठी’ का नाम दिया गया है।

ब्रह्माणों और दलितों के गठबंधन का मिशन बसपा ने उत्तर प्रदेश के सबसे चर्चित जगह से की है, रामनगरी में बीजेपी ने राम मंदिर निर्माण का क्रेटिड लेकर अंगद की तरह अपने पैर जमा दिए हैं। बसपा भी रामनगरी से ही अपने मिशन को शुरू कर रही है।

बीजेपी का ब्राह्मणों पर सितम!

बसपा का हर कदम यूपी में ब्राह्मणों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उठाया जा रहा है। बता दें कि 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जाति को लेकर राज्य में माहौल काफी गर्म हो गया था। कुछ नेताओं ने तो मंच से बोलना भी शुरू किया उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों के साथ योगी सरकार अन्याय कर रही है।

बिकरू कांड के बाद मुख्य आरोपी विकास दुबे को जब यूपी पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर किया तो उस दौरान उत्तर प्रदेश में जबरदस्त ब्राह्मण कार्ड का डंका बजाया गया।

ब्रह्मणों ने बसपा को दिलाई है सत्ता

मायावती के इस तीर को चालने की सबसे खास वजह 2007 में मिली सत्ता। मायावती ने 2007 में ब्राह्मणों को टिकट आंख बंद करके बांटे थे और नतीजा ये था कि बसपा ने 206 सीटों पर जीत हासिल की थी।

पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने के बाद मायावती की उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हैसियत कम हो गई है। साल 2012 में 80 और साल 2017 में 19 सीटें बसपा को मिलीं, लोकसभा चुनाव में तो बसपा का खाता भी नहीं खुल सका।

बसपा सुप्रीमो मायावती 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से मैदान में उतर चुकी हैं और इसकी शुरुआत उन्होंने अयोध्या से कर दी है। देखने वाली बात है कि क्या ब्राह्मण समाज पर मायावती के डोरे का असर होगा या नहीं और मायावती की पतंग कहां तक का सफर तय करेगी।