कांग्रेस महासचिव और लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाल ही में सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं को बचाने की अपील की है. साथ ही वो सदन में एक बैग लेकर भी गईं थीं जिसमें बांग्लादेश में हिन्दुओं को बचाने के लिए बकायदा एक संदेश भी लिखा था.
उन्होंने वहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के साथ हो रहे अत्याचारों पर चिंता जताई. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी की यह पहल कई राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चौंकाने वाली रही, क्योंकि कांग्रेस पार्टी पहले से ही नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का कड़ा विरोध करती रही है.
क्या बदल रही है कांग्रेस की नीति?
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के बांग्लादेशी हिन्दुओं के समर्थन में बयान देने के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या कांग्रेस अब CAA पर अपना रुख बदल सकती है?
CAA के तहत भारत सरकार अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी) को भारत में शरण और नागरिकता देने का प्रावधान करती है.
कांग्रेस पार्टी ने 2019 से ही CAA और NRC का जोरदार विरोध किया है. पार्टी ने इसे संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए इसे ‘भेदभावपूर्ण’ करार दिया.
लेकिन कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी का बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए सहानुभूति व्यक्त करना कांग्रेस की नीति में संभावित बदलाव की ओर इशारा कर सकता है.
राजनीतिक विरोधाभास?
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी की तरफ से बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए आवाज उठाने से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या कांग्रेस अब CAA के समर्थन में आएगी? अगर पार्टी CAA का समर्थन करती है, तो यह उसके पिछले रुख के विपरीत होगा.
क्या है आगे की राह?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि प्रियंका गांधी का यह कदम भविष्य की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. कांग्रेस के लिए यह जरूरी होगा कि वह स्पष्ट करे कि वह बांग्लादेशी हिन्दुओं के लिए नागरिकता देने की पक्षधर है या फिर CAA जैसे कानूनों का पुरजोर विरोध जारी रखेगी.
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