नई दिल्लीः हिन्दुस्तान की मातृ भाषा हिन्दी का इस धरती और इतिहास में अपना ही एक अलग महत्व है और हिन्दुस्तान में होने वाली राजनीति भी अपनी अलग पहचान रखती है।
हिन्दुस्तान की संस्कृति का ही असर है कि यहां एक पंजाबी को प्रधानमंत्री पद की शपथ एक मुस्लिम राष्ट्रपति दिलाता है और एक पंडित प्रधानमंत्री मुस्लिम को राष्ट्रपति बनाने के लिए नेताओं के सामने प्रस्ताव लाता है।
हिन्दुस्तान में 25 दिसंबर 1924 को एक ऐसी आत्मा आई जिसने यहां की राजनिति की परिभाषा को ही बदल दिया था, जिनका नाम है अटल बिहारी बाजपेयी।
अटल जी ने साल 1952 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली और साल 1957 में उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के बलरामपुर से उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ा और यहां से वो विजयी होकर लोकसभा पहुंचे।
3 बार ली प्रधानमंत्री पद की शपथ
अटल जी हिन्दुस्तान की राजनीति 3 बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले एक मात्र प्रधानमंत्री थे। 1996 में अटल जी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन, संख्या बल नहीं होने की वजह से 13 दिन में इनकी सरकार गिर गई। आंकड़ों ने एक बार फिर अटल जी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई लेकिन 13 महीने बाद ही सरकार गिर गई। इसके बाद साल 1999 में अटल जी प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और 5 साल तक सरकार चलाई।
हिन्दी से अटल जी का लगाव
हिन्दी भाषा से अटल जी को काफी प्रेम था। साल 1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री के रूप में अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे अटल जी ने UNO में अपना पहला भाषण हिन्दी में दिया और दुनिया के दिल पर हिन्दी की अमिट छाप छोड़ दी।
अटल जी के भाषण और बोलने की शैली UNO के सभी प्रतिनिधियों को इतनी पंसद की तालियों की गड़गड़ाहट कम होने का नाम नहीं ले रही थी। अटल जी ने अपने भाषण में रंगभेद, मानव अधिकार जैसे गंभीर मुद्दों पर दुनिया के सामने अपने विचार रखे थे।
12 बार सांसद बने अटल जी
अटल जी ने साल 1951 में हिन्दुस्तान की राजनीति में अपना कदम रखा था। 1957 में वो विजयी होकर लोकसभा पहुंचे। अटल जी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे और 2 बार राज्यसभा के सांसद बने। अटल जी नई दिल्ली, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से लोकसभा पहुंचे और गुजरात से राज्यसभा पहुंचे।
भारत रत्न से किए गए सम्मानित
15 मार्च 2015 को तत्तकालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अटल जी को उनके आवास पर जाकर भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। बता दें कि अटल जी ने साल 2005 में ही हिन्दुस्तान की राजनीति से संन्यास ले लिया था। आपको बता दें कि साल 2009 में स्ट्रोक आने की वजह से अटल जी के ब्रेन ने काम करना बंद कर दिया था। 16 अगस्त 2018 को भारत ने अपने इस रत्न को खो दिया।
आज अटल जी की तीसरी पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, पीएम मोदी, गृहमंत्री सहित सभी नेताओं ने सदैव अटल स्मृति स्थल जाकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।
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