उत्तर प्रदेश का वो प्रसिद्ध नगर जो वाराणसी, काशी और बनारस के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव की यह नगरी जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से खासा महत्व है। वरुणा और अस्सी नदी के मिलन से काशी का नाम वाराणसी पड़ा। भगवान शिव जी के 12 ज्योर्तिलिंगों में से विख्यात एक ज्योर्तिलिंग काशी विश्वनाथ यहां पर स्थित है।
देवों के देव महादेव की यह नगरी काशी यानि वाराणसी हमेशा से पर्यटकों को लुभाती रही है। बनारस में घुमते समय आप यहां संस्कृति और परंपरा दोनों को साथ में महसूस करेंगे।
काशी के कण-कण में महादेव
मान्यता के अनुसार काशी के कण-कण में भगवान शिव का वास है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी काशी देवों के देव को बहुत प्रिय है। कहा तो ये भी जाता है कि जिस स्थान पर भगवान के ज्योर्तिलिंगों का वास होता है, वह स्थान कभी लुप्त नहीं होता है। इसलिए इसे धर्म, कर्म और मोक्ष की नगरी कहा जाता है।
मंदिरों और घाटों का नगर वाराणसी
महादेव की नगरी वाराणसी के घर-घर में प्राचीन मंदिरों के दर्शन देखने को मिलते हैं। 12 ज्योर्तिलिंगों में से विख्यात काशी विश्वनाथ धाम जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है। मान्यताओं के अनुसार काशी विश्वनाथ के दर्शन करने और गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा नदी के तट पर बसी वाराणसी में लगभग 84 घाट हैं, जिसमें हर एक का अपना ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है।
माणिकर्णिका घाट जिसे मोक्ष प्राप्ति के लिए पवित्र माना जाता है।
सुप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट ब्रह्मा जी के द्वारा किए गए यज्ञ से जाना जाता है।
राजा हरिश्चंद्र घाट मान्यताओं के अनुसार जिसे सत्य और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक माना जाता है, वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में से एक है।
आस्था और विश्वास का अनुठा संगम
वाराणसी मिट्टी और पत्थर के मेल से बना एक शहर नहीं बल्कि आस्था और विश्वास से बना एक ऐसा शहर है जहां जीवन चक्र के सारे मिथ्य टूट जाते हैं। वाराणसी में प्रात: काल से ही गंगा घाटों पर स्नान और पूजा-पाठ के लिए उमड़ती भक्तों की टोली इस बात का प्रमाण है, कि यहां भक्तों के रोम-रोम भगवान शिव के प्रति आस्था कैसे वास करती है। संध्या काल के समय होने वाली गंगा आरती अपने आप में एक ऐसा दृश्य है, जो भक्तों का मन मोह लेती है।
शिल्प और कला का संगम वाराणसी
वाराणसी कला, साधाना और विद्या का संगम है। हजारों साल पुराना वाराणसी का सबसे ज्यादा विख्यात बनारसी सिल्क की बुनाई का इतिहास गौरवमय रहा है। वाराणसी में संगीत कला का इतिहास काफी पुराना है। हिन्दू धर्मशास्त्र में शिक्षा और पौराणिक कहानियों का संगम भारतीय धर्मग्रंथों में बखूबी मिलता है।
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