रहस्यमयी मंदिरों का हिंदू धर्म में ना केवल महत्वपूर्ण स्थान है, बल्कि ये मंदिर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक रूप से भी आपस में एक दूसरे से जोड़ते हैं. हिन्दू मान्यताओं में ये मंदिर ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से कई प्रश्न उठाते है।लाखों-हजारों साल पुराने कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जिनकी दीवारें, मूर्तियां और घटनाओं के अनसुलझे रहस्य ना तो अभी तक सुलझे थे, और ना ही सुलझे हैं
ये मंदिर भक्तों और शोधकर्ताओं के लिए हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भारतीय सभ्यता के अनसुलझे रहस्यों के साथ-साथ भगवान के प्रति श्रद्धा भाव को भी दर्शाता है.
केदारेश्वर मंदिर आस्था और रहस्य का अद्भुत संगम
रतलाम से लगभग 27 किलोमीटर दूर केदारेश्वर मंदिर जो भगवान शिव का सुंदर स्थान है, जो एक अद्भुत और चमत्कारी मंदिर माना जाता है. सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. केदारेश्वर भगवान मंदिर में भगवान शिव लिंग रूप में विराजमान हैं. पहाड़ों के बीच प्राचीन कुंड में गिरता झरना भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. शिव लिंग तक पहुंचने के लिए एक व्यक्ति को कमर गहरे और बर्फ के ठंडे पानी से गुजरना पड़ता है.
4 स्तंभों में समाहित युगों का रहस्य
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हजारों साल पुराने केदारेश्वर मंदिर के लिंग के चारों ओर चार खंभे बने हुए हैं, माना जाता है कि जो हमारे चार युगों को दर्शाते हैं. पहला स्तंभ सतयुग, दूसरा स्तंभ त्रेतायुग, तीसरा स्तंभ द्वापरयुग और चौथा स्तंभ कलयुग. फिलहाल केदारेश्वर मंदिर में अब केवल एक खंभा बरकरार है.
वर्तमान स्तंभ को अंतिम और अंतिम युग का प्रतीक कहा जाता है, जो वर्तमान युग है, कलियुग। मान्यताओं के अनुसार लोगों के मन में यह धारणा बनी हुई है, कि जब यह अंतिम और शेष स्तंभ टूट जाएगा, तो दुनिया समाप्त हो जाएगी.
केदारेश्वर मंदिर से जुड़ा इतिहास
केदारेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के हरिश्चंद्र पहाड़ी किले पर स्थित है. पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 6वीं शताब्दी में कलचुरी राजवंश के शासनकाल में कराया गया था. लेकिन, किले की गुफाएं 11वीं शताब्दी में मिलीं. केदारेश्वर मंदिर की शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है. ये मंदिर किले के अंदर 4,671 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है. इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में शिवलिंग के सामने मां पार्वती की प्रतिमा भी है. इसके अलावा दायी ओर भगवान गणेश और बायी ओर हनुमान जी की प्रतिमा भी पहाड़ों के बीच तराशी गयी है.