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कैसे हुई खरमास की शुरुआत, जानें पौराणिक कहानी !

खरमास की शुरुआत

हिंदू धर्म में हर महीने कोई ना कोई त्योहार होता है, और उन त्योहारों का अपना धार्मिक और एतिहासिक महत्व भी होता है. हिन्दू धर्म में जितने भी त्योहार मनाए जाते है, उन त्योहारों के साथ हमारे ग्रहों का संबंध भी जरूर होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, तो उस महीने को खरमास कहा जाता है. इस साल खरमास 15 दिसंबर 2024 की रात 9.56 मिनट से शुरू होकर 14 जनवरी 2025 तक रहेगा.

इस लेख में हम बात करेंगे आखिर खरमास लगता क्यों है ? और खरमास के लगने से जुड़ी पौराणिक कथा कौन सी है.

खरमास से संबंधित पौराणिक कथा

हिंदू ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य देव गोचर करते धनु राशि में प्रवेश करते है, तो खरमास शुरू हो जाता है. खर शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है गधा. और मास का अर्थ होता है महीना. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय सूर्य देव अपने 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर पूरे ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करने के लिए निकले.

परिक्रमा करते-करते उनके रथ के घोड़े थक गए और घोड़ों को थका हुआ देखकर सूर्य देव ने अपने रथ को नदी किनारे रोक दिया जिससे रथ के घोड़े नदी का जल पीकर अपनी प्यास बुझा सके.

लेकिन सूर्य देव को अचानक ये ज्ञाति हुई कि अगर ये रथ रूका तो ब्रह्मांड की सभी गतिविधियां रूक जाएंगी. उन्होने नदी के किनारे 2 गधों को देखा. घोड़ों को विश्राम करने के लिए छोड़. और 2 खरों (गधों) को रथ में बांधकर प्रक्रिया शुरू कर दी. खरों की गति धीमी होने के कारण यह परिक्रमा 1 मास तक चली, जिसके कारण उस मास को खरमास कहा गया.

खरमास में भूलकर भी ना करें ये काम

खरमास के दौरान कई धार्मिक कामों को करने की मनाही होती है, क्योंकि खरमास को अशुभ मास माना जाता है, मान्यताओं के अनुसार खरमास में शादी, गृह प्रवेश, मुंडन जनेऊ संस्कार और कोई भी नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए.

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