उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में स्थित बिसरख गांव अपनी अलग पहचान रखता है। कहा जाता है कि रावण के पिता विश्रव ऋषि का आश्रम यहीं था। ऐसा माना जाता है कि जब रावण का जन्म हुआ था तो ये गांव जंगलों से घिरा हुआ था और ऋषि विश्रव यहां पर तपस्या करने आते थे। रावण का बचपन बिसरख गांव में ही बीता है इसलिए इस गांव की पहचान दशानन के पैतृक गांव के रूप में होती है। बिसरख गांव के शिव मंदिर में एक ऐसा अष्टभुजी शिवलिंग है जिसकी स्थापना रावण के पिता ने की थी बता दे कि इस अष्टभुजी शिवलिंग में बहुत से गहरे राज छुपे हैं।
गांव में आज भी खुदाई के दौरान शिवलिंग निकलता है। एक बार चंद्रमुखी स्वामी को खुदाई के दौरान यहां 24 शंख मिले थे। यह मंदिर इतना प्रसिद्ध एवम् मान्यता वाला है कि हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और एचडी देवेगौड़ा भी यहां शीश झुका चुके हैं।
यहां स्थापित अष्टभुजी शिवलिंग की पूजा रावण भी किया करता था जिसकी पूजा अर्चना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें इसी जगह बुद्धिमान और शक्तिशाली होने का वरदान दिया था। बिसरख मंदिर में जो भी सच्चे दिल से मन्नत मांगता है वह पूरी होती है। गांव के लोग आज भी इस मंदिर में राम और रावण दोनों की साथ में पूजा करते हैं। यहां के लोग रावण को रावण बाबा कहकर पुकारते हैं।
बिसरख गांव में किसी भी प्रकार की रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता है। आज भी यहां दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता बल्कि यहां रावण की पूजा की जाती है।
दशहरे के दिन श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पूजा करने आते हैं। यूपी के बसे इस गांव में पहले दशहरे के दिन मातम छाया होता था। इस गांव में न ही दशहरा मनाया जाता है और ना ही रावण का पुतला दहन किया जाता है। गांव के लोगों ने 1-2 बार रामलीला करने की कोशिश की थी परंतु गांव में किसी न किसी की मृत्यु हो गई इसलिए यहां रामलीला नहीं होती।
5 अगस्त 2020 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री राम मंदिर की नींव रख रहे थे तो बिसरख गांव के लोगों ने अपने-अपने घरों में दीपक जलाए थे। श्री राम जन्मभूमि की नींव के समय यह पहला अवसर था, जब इस गांव में राम के नाम पर जश्न मनाया जा रहा था।
राम मंदिर भूमि पूजन के लिए देशभर के करीब 8 हजार पवित्र स्थलों की मिट्टी और जल का प्रयोग किया गया है जहां बिसरख में स्तिथ रावण मंदिर की मिट्टी को अयोध्या भेजा गया था। बिसरख रावण की जन्मभूमि है इसलिए यहां राम का नहीं बल्कि रावण का मंदिर है, यहां रावण के भाई कुबेर, कुंभकरण और विभीषण भी जन्मे थे।
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