• Home
  • About Us
  • Contact Us
UNN Live
  • राष्ट्रीय
  • राजनीति
  • खेल
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • करियर
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • लाफ-इस्टाइल
Advertisement
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • राजनीति
  • खेल
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • करियर
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • लाफ-इस्टाइल
UNN Live
No Result
View All Result
UNN Live
No Result
View All Result
Home राष्ट्रीय

Kargil Vijay Diwas 2023: सेना के शौर्य की अद्भुत विजयगाथा

साल 1999 में 3 मई से 26 जुलाई तक भारतीय सशत्र सेना अपने साहस और युद्ध कला से हर भारतीय को गौरवान्ति कर दिया। भारतीय सेना ने इन 2 महीनों में पाकिस्तान को धूल चटाने के अलावा उसकी औकात बताने का काम किया।

Mayank Shukla by Mayank Shukla
26/07/2023
in राष्ट्रीय
0 0
0
Kargil Vijay Diwas 2023: सेना के शौर्य की अद्भुत विजयगाथा

26 जुलाई का दिन हर भारतवासी गर्व और श्रद्धा के साथ कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता है। आज कारगिल विजय दिवस के 24 साल पूरे हो गए।

24वें कारगिल विजय दिवस पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि, “वीर पराक्रमियों की शौर्यगाथा हमेशा देशवासियों के लिए प्रेरणाशक्ति बन रहेगा”।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कारगिल में प्राणों की आहुति देने वाले वीरों को नमन किया है।

24वें कारगिल विजय दिवस के मौके पर लद्दाख में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

द्रास सेक्टर में बनाए गए कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान सेना के बैड ने ‘देश मेरे’ गीत की ध्वनि भी निकाली।

कारगिल विजय दिवस पर बोले नेता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल विजय दिवस पर ट्वीट कर कहा कि, “कारगिल विजय दिवस भारत के उन अद्भुत पराक्रमियों की शौर्यगाथा को सामने लाता है, जो देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणाशक्ति बने रहेंगे। इस विशेष दिवस पर मैं उनका हृदय से नमन और वंदन करता हूं। जय हिंद!”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कारगिल विजय दिवस पर ट्वीट शहीदों को नमन किया। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि, “कारगिल विजय दिवस पर देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाज़ी लगा देने वाले सभी योद्धाओं को नमन!”

गृहमंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर शहीद जवानों को याद किया। अमित ने ट्वीट में लिखा कि, “कारगिल विजय दिवस करोड़ों देशवासियों के सम्मान के विजय का दिन है। यह सभी पराक्रमी योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है जिन्होंने आसमान से भी ऊंचे हौसले और पर्वत जैसे फौलादी दृढ़ निश्चय से अपनी मातृभूमि के कण-कण की रक्षा की”।

गृहमंत्री ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि, “भारत माता के वीर सिपाहियों ने अपने त्याग व बलिदान से इस वसुंधरा की न सिर्फ आन, बान और शान को सर्वोच्च रखा बल्कि अपनी विजित परंपराओं को भी जीवंत रखा। कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों पर तिरंगा पुनः गर्व से लहरा कर देश की अखंडता को अक्षुण्ण रखने के आपके समर्पण को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से नमन करता हूं”।

कारगिल विजय दिवस की जानने योग्य बातें

विजय दिवस- भारतीय सेना के साहस, शौर्य और युद्ध कला का प्रमाण

साल 1999 में 3 मई से लेकर 26 जुलाई तक लड़ा गया कारगिल युद्ध सिर्फ दो देशों की सेना के बीच लड़ी जाने वाली लड़ाई नहीं थी बल्कि ये भारतीय सेना के प्रचंड साहस का प्रमाण था।

कारगिल युद्ध तब शुरू हुआ जब भारतीय खुफिया एजेंसियों को पता चला कि आतंकवादियों के भेष में पाकिस्तानी सैनिकों ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर (कारगिल अब केंद्र शासित प्रदेश में है) के कारिगल जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) के भारतीय हिस्से में घुसपैठ की है।

पाकिस्तान की ये हरकत भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जा करने के लिए की गई थी और भारत की संप्रभुता को चुनौती देने का काम किया गया था।

दोनों पक्षों की सेनाओं के लिए यह एक लंबे समय से चली आ रही, अनकही परंपरा रही है कि कठोर सर्दियों के दौरान ऊंचाई वाले स्थानों पर अपने बंकरों को खाली कर दिया जाता था और गर्मियों में उन पर फिर से कब्जा कर लिया जाता था।

1999 में पाकिस्तान ने भारत के भरोसे का अनुचित लाभ उठाया। जब सर्दियों के दौरान भारतीय सैनिकों ने अपने बंकर छोड़ दिए, तो पाकिस्तानी सेना के सैनिकों और मुजाहिदीन ने इन पर कब्जा कर लिया।

भारत को पाकिस्तान की विश्वासघाती योजना का एहसास मई में हुआ जब कैप्टन सौरभ कालिया के नेतृत्व में एक गश्ती दल क्षेत्र में जाने के बाद मुख्यालय नहीं लौटा। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए भारतीय सेना ने घुसपैठियों को खत्म करने के उद्देश्य से ‘ऑपरेशन विजय’ चलाया। बाद में, पाकिस्तान ने कैप्टन कालिया और उनके चार सैनिकों के क्षत-विक्षत शव लौटा दिए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और दुश्मनी और बढ़ गई।

कारगिल युद्ध पाकिस्तान के नापाक हरकतों का उदाहरण है। 1999 में ही कारगिल युद्ध से तीन महीने पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शांति के संदेश और कश्मीर मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान खोजने की मजबूत प्रतिबद्धता के साथ पाकिस्तान का दौरा किया था।

इसके अतिरिक्त, सद्भावना का संकेत देते हुए नई दिल्ली और लाहौर के बीच एक बस सेवा शुरू की गई थी।

ऑपरेशन तलवार और ऑपरेशन सफेद सागर भी चलाया गया

कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ ने भारत को अचंभित कर दिया। ऊंचाई पर स्थित कारगिल की रणनीतिक स्थिति ने भारतीय सेनाओं के लिए कठिन चुनौतियां पेश की।

दुश्मन ने इलाके का फायदा उठाया, अच्छी तरह से मजबूत स्थिति स्थापित की जिससे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया। हमले की अचानकता, विश्वासघाती भूगोल के साथ मिलकर, भारत की ओर से तत्काल प्रतिक्रिया की आवश्यकता थी।

इसके जवाब में भारतीय सेना ने 12 नॉर्दर्न लाइट इन्फैंट्री के पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों को खत्म करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया।

युद्ध रेजिमेंटल और बटालियन दोनों स्तरों पर लड़ा गया था। पाकिस्तान का प्राथमिक उद्देश्य श्रीनगर और लेह को जोड़ने वाले एनएच 1 डी राजमार्ग को नियंत्रित करना था, जिसका उद्देश्य शेष भारत के साथ लेह की कनेक्टिविटी को बाधित करना था।

रणनीतिक कारगिल ऊंचाइयों पर दोबारा कब्ज़ा करने के लिए, भारतीय सेना ने एक सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसे ‘ऑपरेशन विजय’ नाम दिया गया।

इसके साथ ही, भारतीय वायु सेना ने ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ के माध्यम से जमीनी बलों को महत्वपूर्ण हवाई सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसके अलावा, भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के समुद्री मार्गों को अवरुद्ध करने के लिए ‘ऑपरेशन तलवार’ को अंजाम दिया।

विपरीत परिस्थितियों में भारत ने हासिल की जीत

पाकिस्तान के आक्रमण के जवाब में, भारत ने अपनी पूरी सैन्य ताकत झोंक दी और शक्तिशाली प्रहार किए जिससे प्रतिद्वंद्वी घुटनों पर आ गया।

भारतीय सेना ने 17 जून, 1999 को टोलोलिंग पर फिर से कब्जा करके कारगिल युद्ध में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की।

टोलोलिंग में इस जीत ने घटनाओं की एक श्रृंखला को गति दी जिसने भारत के पक्ष में माहौल बदल दिया।

इसके बाद, भारतीय सेना ने 4 जुलाई को अत्यधिक रणनीतिक चोटी, टाइगर हिल पर कब्जा करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।

युद्ध के दौरान, सेना ने अपने सैनिकों के लिए महत्वपूर्ण कवर फायर प्रदान करने के लिए बोफोर्स तोपखाने बंदूकों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया।

26 जुलाई को ऑपरेशन विजय को भारत सरकार ने एक शानदार सफलता घोषित किया और तब से इस दिन को प्रतिवर्ष ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जो विपरीत परिस्थितियों में हासिल की गई जीत का जश्न है।

देश के लिए 527 जवानों ने दी आहुति

भारतीय सशस्त्र बलों के 527 जवानों ने कारगिल में अपने प्रामणों की आहुति दे दी।

इन बहादुर नायकों में ‘टाइगर ऑफ द्रास’ के नाम से प्रसिद्ध कैप्टन विक्रम बत्रा भी शामिल थे, जिन्होंने निडरता से पाकिस्तानी सेना से लड़ाई की और 24 साल की उम्र में अपनी जान दे दी।

शहीद विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था, जो भारत का सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता पुरस्कार है।

सूबेदार मेजर योगेन्द्र यादव, भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित होने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे।

अन्य जाबांजों में राइफलमैन संजय कुमार (परमवीर चक्र) (13 जेएके राइफल), लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे (परमवीर चक्र, मरणोपरांत), ‘टाइगर’ लेफ्टिनेंट बलवान सिंह (महावीर चक्र) (18 ग्रेनेडियर्स), मेजर विवेक गुप्ता (महाराष्ट्र) वीर चक्र, मरणोपरांत (2 राजपूताना राइफल्स), कैप्टन एन केंगुरुसे (महावीर चक्र, मरणोपरांत) (एएससी, 2 राज आरआईएफ) और कई अन्य भी शामिल हैं।

पीएम अटल जी का सख्त संदेश

कारगिल युद्ध के दौरान तत्कालीन पीएम अटल जी ने पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया।

अटल जी ने कहा कि, “अगर घुसपैठिए भारतीय क्षेत्र से नहीं हटेंगे तो हम उन्हें किसी भी तरह से बाहर निकाल देंगे”।

02 जुलाई 1999 को, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को फोन किया और संघर्ष को रोकने और कश्मीर विवाद को हल करने के लिए तत्काल अमेरिकी हस्तक्षेप की अपील की।

हालांकि, राष्ट्रपति क्लिंटन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पाकिस्तान को पहले नियंत्रण रेखा (LoC) से हटना होगा। फोन पर राष्ट्रपति की वाजपेई से बातचीत हुई और उन्होंने कहा कि वे किसी दबाव में बातचीत नहीं करेंगे और LoC से पीछे हटना ज़रूरी है।

कारगिल युद्ध के दिलचस्प बात ये रही कि वाजपेयी जी ने औपचारिक समापन से पहले ही 14 जुलाई को ऑपरेशन की सफलता की घोषणा की।

हरियाणा की एक सार्वजनिक रैली में अटल बिहारी वाजपेई ने पाकिस्तान पर जीत का ऐलान कर दिया। आखिरकार, 26 जुलाई को कारगिल युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त होने पर भारत विजयी हुआ।

Tags: 26 JulyIndian ArmyKargil Vijay Diwas
Previous Post

विमान के इंजन में लगी आग, नहीं हुई कोई जनहानि

Next Post

श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास ने किया सम्मान, कहा संघर्ष में नारी शक्ति का योगदान अहम

Mayank Shukla

Mayank Shukla

Next Post
श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास ने किया सम्मान, कहा संघर्ष में नारी शक्ति का योगदान अहम

श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास ने किया सम्मान, कहा संघर्ष में नारी शक्ति का योगदान अहम

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

No Result
View All Result

Recent Posts

  • 500 वर्षों का सपना होगा पूरा, चंपत राय की रामभक्तों से अपील
  • खाकी वाले गुरुजी को स्वामी ब्रह्मानन्द पुरस्कार से किया गया सम्मानित, बनाई एक नई छवी
  • मिशन 100 करोड़ में Vserv, मनाया 7वां स्थापना दिवस
  • शौर्य रैली पर मंथन, बजरंगदल की बैठक में फैसला
  • सवाधान, गाजियाबाद पुलिस सो रही है! माता, बहन, बेटी और बहू की सुरक्षा खुद करें?

Recent Comments

  • Akash on अयोध्या के लाल को मिला बेस्ट सोशल मीडिया इंफ्ल्यूएंसर का सम्मान, कम समय में हासिल किया मुकाम
  • Hemant Singh on अमरेंद्र के आइडिया और हिम्मत की दुनिया कायल, गरीबों के हाथ में पहुंचा मोबाइल
  • Mayank Shukla on श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास ने किया सम्मान, कहा संघर्ष में नारी शक्ति का योगदान अहम
  • Ram Sharan Singh Kushwah on 2024 का पीएम मोदी ने दिया मंत्र, सांसदों के साथ की बैठक
  • Mayank Shukla on गृह विभाग के अधिकारियों को सीएम योगी का निर्देश, 90 दिन में बनाओ ‘सेफ सिटी’

Browse by Category

  • अंतर्राष्ट्रीय
  • अपराध
  • करियर
  • कोरोना
  • खेल
  • धर्म
  • बाजार
  • मनोरंजन
  • राजनीति
  • राष्ट्रीय
  • विशेष
  • स्वास्थ्य
  • About Us
  • Contact Us

© 2021 UNNILIVE

No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • राजनीति
  • खेल
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • करियर
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • लाफ-इस्टाइल

© 2021 UNNILIVE

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist