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धरती का वह स्थान जहां कभी नहीं बुझती चिता !

51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ कहे जाने वाला घाट मणिकर्णिका घाट, ये घाट उस स्थान पर स्थित है, जो महादेव की नगरी कही जाती है.

मणिकर्णिका घाट की विशेषता यह है, कि यह घाट केवल शक्ति पीठ ही नहीं, बल्कि मोक्ष प्राप्ति का स्थान भी कहा जाता है.

आज हम मणिकर्णिका घाट के बारे कुछ ऐसे रहस्यों को बारें में बताएंगे, जिसके कारण मणिकर्णिका घाट शक्तिपीठ होने के साथ-साथ मोक्ष भी कहा जाता है.

कैसे पड़ा मणिकर्णिका घाट का नाम ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार मणिकर्णिका घाट का नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि इसी स्थान पर जब माता पार्वती स्नान करने आई तो, तभी उनके कान की मणि यहां गिर गई और उसके बाद मणि को खोजने के लिए यह जगह खोदी गई, जिसके बाद यह घाट मणिकर्णिका के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

मोक्ष प्राप्ति की भूमि मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका घाट पर मरने वाले व्यक्ति का अंतिम संस्कार इस घाट पर करने से उसे मोक्ष प्राप्ति मिलती है. मणिकर्णिका घट पर हर समय अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चलती रहती है. इस घाट पर हवन, पूजा और विशेष तर्पण की क्रियाएँ भी होती है, जिनसे मरे हुए व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है, और उनका पापों से मुक्ति मिलती है.

गंगा के किनारे का पवित्र स्थान

वाराणसी का एक प्रमुख और ऐतिहासिक घाट हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है, और यहाँ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है. गंगा नदी के किनारे पर स्थित इस घाट पर गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से श्रद्धालुओं को पुण्य और शांति मिलती है. इस घाट पर पूजा-अर्चना और स्नान करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं.

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