कहते हैं जीवन में आप कुछ बनें या फिर न बनें लेकिन एक अच्छा इंसान जरूर बनें। इंसानियत अगर पुलिसकर्मियों में हो तो फिर इस पर बात जरूर की जानी चाहिए।
अयोध्या परिक्षेत्र के IG प्रवीन कुमार को पुलिस सेवा का लंबा अनुभव है, जिसके लोग किसी दैवीय शक्ति का उदाहरण ही मानते हैं। IG प्रवीन कुमार से मिलकर आप ये कह सकते हैं कि यूपी पुलिस का एक ऐसा चेहरा जो विवादों और मीडिया की लाइम लाइट से दूर रहता है।
मेरठ से सदी के सबसे भयानक किसान आंदोलन की शुरुआत के समय इनकी तैनाती बतौर IG यहीं थी।
किसान आंदोलन के वक्त IG प्रवीन कुमार ने अपनी तरीफ-ए-काबिल रणनीति का परिचय देते हुए अपने जोन के लॉ एंड ऑर्डर को सही बनाए रखा।
IG प्रवीन कुमार की शानदार पुलिंग के कई उदाहरण हैं जो मीडिया की चमक-धमक और सोशल मीडिया की पहुंच से दूर है। समाज, अपने काम प्रति इनकी जिम्मेदारी, दरियादिली और इंसानियत का एक चमचमाता उदाहरण माने जाते हैं।
IG प्रवीन कुमार लॉ एंड ऑर्डर के साथ लेखन कार्य में भी रुचि रखते हैं, इन्होंने हाल ही में मानवीय संवदेनाओं पर आधारित एक किताब भी लिखी है, जिसकी कुछ पंक्तियों को पढ़ने के बाद ऐसा लगता है कि इंसानियत के कुछ पन्ने आम जनता को भी अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
अपनी किताब में IG प्रवीन कुमार ने लिखा कि “जब SDM सदर, इलाहाबाद (प्रयागराज) के रूप में कंबल बांटने वक्त जब एक मोटी सी लकड़ी पर पड़ी जिसको देखने के बाद तहसीलदार ने डरते हुए जवाब दिया कि दारागंज से चिता की रखी लकड़ियों को उठा लाया हूं। जिसके बाद मैं केवल उसे देखता ही रह गया”
‘न दवा न दलील, क्यों जिरह करके जलील है, जैसा था वैसा रच करके रख दिया’ अपनी किताब ‘वाह एक और मन’ में इस शायरी के जरिए IG प्रवीन कुमार ने साबित किया वो केवल आम इंसान के सुख-दुख को ही नहीं समझते बल्कि ये उस सुख और दुख को संवाह भी हैं।
साफ शब्दों में कहें तो “वाह एक और मन” में आपको कई पंक्तियां IG प्रवीन कुमार के उस रूप को दिखाएंगी जिसे पढ़ने के बाद आप भी पुलिस अधिकारी के मन को सलाम करेंगे।
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