यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी अपनी तैयारियों में जुट गई है। सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ समाज के सबसे बड़े वर्ग का विश्वास जीतकर भगवा रंग का परचम लहराया है। बीजेपी समाज के अल्पसंख्यक वर्ग का भी विश्वास जीतना चाहती है।
समय-समय पर मुसलमानों को केंद्र और राज्य सरकार की नीतियां और योजनाएं बिना किसी भेदभाव के पहुंचाई जाती रहीं हैं, इसका संदेश तो वह पहले से ही देते आ रही है। अब तैयारी है इसे अपनी रणनीति का हिस्सा बना कर मुसलमानों को आगामी विधानसभा चुनाव में सीटें दिलाने की।
सबका साथ, सबका विकास के साथ सबका कल्याण भी जोड़ दिया
बीजेपी विजय रथ पर सवार होने के बावजूद इस बार सॉफ्ट सेकुलरिज्म का सिक्का उछालने के मूड में दिख रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव का नारा सबका साथ, सबका विकास की नीति अपनाने वाली बीजेपी ने विधानसभा चुनाव आते-आते इस नारे का विस्तार कर दिया।
हालांकि, दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर सरकार ने नारे में बदलाव किया सबका साथ, सबका विकास के साथ सबका कल्याण भी जोड़ दिया था।
तीन तलाक के खिलाफ कानून लाकर पार्टी को मिला लाभ
तीन तलाक के खिलाफ कानून लाकर मुस्लिम महिलाओं का साथ लेने की सबसे पहली कोशिश हुई, जिसका पार्टी को लाभ भी मिला।
अब देखना यह है कि इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी मुसलमानों को टिकट देकर उनको कितनी भागेदारी देगी। वहीं उत्तर प्रदेश में जातिगत राजनीति को देखते हुए इस बार किसी भी पार्टी के लिए समीकरण बैठाना मानो समुद्र मंथन करने जैसे होगा।
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