‘अग्निवीर’ भारत की एकता के लिए जरूरी, घरेलू आतंकवाद का खात्मा करेंगे ये नौजवान

by | 3 Sep 2022, 8:54:am

दुनिया का हर देश इस वक्त सिर्फ अपनी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को बनाए रखने की लड़ाई लड़ रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच हो रहा युद्ध, चीन का ताइवान और अरुणाचल प्रदेश पर कब्जे की कोशिश लगातार जारी है। इसके बाद दुनिया के कई देशों में अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर पहुंच गई है। सुपर पावर देश के रूप में शुमार अमेरिका में भी महंगाई अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई है। इस वक्त दुनिया में हर देश एक दूसरे से लड़ाई लड़ रहे हैं। हाल ही भारत सरकार में भविष्य को देखते हुए ‘अग्निपथ’ नाम से एक योजना शुरू की जिसमें भर्ती होने वाले जवानों को अग्निवीर के नाम से जाना जएगा। इस योजना के तहत 17 साल से लेकर 23 साल के नौजवानों को भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा। इस योजना की शुरुआत के बाद से देश में युवाओं को गलत रास्ते पर ले जाने का काम किया गया या फिर ऐसा कहना सही हो सकता है कि आतंकवाद का घरेलू रूप देखने को मिला, जहां ट्रेने जलाई गईं, तोड़फोड़ किया गया और तो और भारतीय सेना को भी गाली दी गई।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा बताते हैं कि “भारतीय सेना दुनिया की सबसे अनुशासित सेना है, यहां तीनों सेनाओं में भर्ती होने वाला युवा कभी देश की एकता के लिए खतरा नहीं हो सकता है”। केंद्र सरकार की इस ‘अग्निपथ’ योजना के बार में बताते हुए रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा ने बताया कि “देश इस योजना का जरूरत साल 1980 से थी, युवाओं को पता होना चाहिए कि भारतीय सेना किस परिस्थिति का सामना करते हुए अपने देश की सेवा करती है। देश में आज एकजुटता का अभाव है और कई टीवी चैनल फेक खबरों के जरिए अपना धंधा चला रहे हैं। CAA-NRC के दौरान भी फेक खबरें चलाई गईं और फिर ‘अग्निपथ’ जैसी महत्वपूर्ण योजना को भी समाज में नफरत फैलाने के लिए आधार बनाया गया”

भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने एक साक्षात्कार में कहा, “अग्निवीर परियोजना को बहुत ही नियंत्रित तरीके से शुरू किया जा रहा है और यही कारण है कि इसे एक पायलट परियोजना के रूप में समझा जा सकता है।” यह स्पष्टीकरण स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि सरकार इस विचार के साथ बिल्कुल भी तय नहीं है, लेकिन इस परियोजना को शुरू करने से प्राप्त अनुभव के साथ सिस्टम में बदलाव लाने के लिए हमेशा तैयार है।

इस स्तर पर युवाओं को इसके बारे में चिंता करने की कोई बात नहीं है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा कहते हैं कि, “देश के अंदर बयानबाजी करके लाइम लाइट में आना जितना है उससे कहीं गुना ज्यादा कठिन है किसी को भरोसे की नींद देना और भारतीय सेना के जवान 135 करोड़ लोगों को सुकून की नींद देने का काम कर रही है”। अग्निपथ योजना के बार में शॉर्ट में समझाते हुए उन्होंने कहा कि, इस योजना को एक प्राइवेट आर्मी बनाने की नजरिए से नहीं देखकर क्यों न इसे ऐसे देखें कि भविष्य में हम भी इजरायल की तरफ चारों तरफ से दुश्मनों से घिरने वाले हैं, और उस दौरान जब युद्ध होगा तो हमें तैयार सेना मिलेगी जो युद्ध की हर कला में माहिर होगी। हमारी रक्षा में बढ़ती आत्मनिर्भरता और रक्षा उपकरणों का होने वाला व्यापार ही देश के अंदर और बाहर कई दुश्मनों को जन्म दे चुका है”।

भारतीय विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर ने 02 मार्च 2020 को सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च द्वारा एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था, “एक ऐसी दुनिया में जो ध्रुवीकृत बहस से खंडित है, भारत थाली में कदम रखने और एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। ” इसलिए, अब समय आ गया है कि भारत बाहर कदम रखे और वैश्विक शक्ति के खेल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं, प्राकृतिक भौगोलिक प्रभुत्व, भारतीय प्रवासी की वैश्विक उपस्थिति, बॉलीवुड की सॉफ्ट पावर से लेकर अपने निपटान में शक्ति के हर साधन का लाभ उठाएं। , एक बढ़ती हुई मजबूत अर्थव्यवस्था, सैन्य शक्ति और बारीक कूटनीति”

सदियों से, भारतीयों को न केवल आक्रमणकारियों की कई लहरों से सफलतापूर्वक लड़ने के लिए जाना जाता है; लेकिन साथ ही, पूरी दुनिया में दोनों विश्व युद्धों में मित्र देशों की सेना की ओर से युद्ध के मैदान में जीत हासिल की। इस प्रकार विश्व स्तर पर हमारे पदचिह्न का विस्तार करने के लिए पूर्व लड़ाकों,पूर्व सैनिकों की एक अच्छी संख्या का संभावित रूप से उपयोग किया जा सकता है। निःसंदेह अग्निवीर हमारी शक्ति का एक प्रमुख स्रोत होगा।

 

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1 Comment

  1. मयंक शुक्ला

    जबरदस्त दिग्विजय सर बहुत अच्छा लिखा है आप ने

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