उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ चाह लें तो दशकों से अटका काम महज चंद दिनों में भी हो जाता है, रसूलाबाद घाट का नाम चंद्रशेखर आजाद करने के मामले में तो यही हुआ है.
नगर निगम सदन ने यह मंजूरी 1991 में ही दे दी थी. लेकिन, 33 साल तक नेता-अफसर सब खामोश रहे. तीन दिन पहले सीएम ने निर्देश दिया तो शनिवार को इसका एलान हो गया. यह घोषणा महापौर गणेश केसरवानी ने की.
दरअसल, मुख्यमंत्री ने 27 नवंबर को निरीक्षण के दौरान प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात, मेलाधिकारी विजय किरन आनंद को निर्देश दिया था कि रसूलाबाद घाट का नाम बदला जाए। घाट का नाम स्थानीय मोहल्ले के कारण पड़ा था.
नगर निगम ने 1991 में दी स्वीकृति
निर्देश के बाद नगर निगम ने दस्तावेज खंगाले, पता चला कि रसूलाबाद घाट का नामकरण चंद्रशेखर आजाद पर करने का प्रस्ताव नगर निगम सदन में 1991 में ही स्वीकृत हो चुका है. हैरानी की बात यह भी कि इस मंजूरी के बावजूद पार्षदों ने यह मांग लगातार उठाई और सदन में प्रस्ताव भी रखे गए.
रसूलाबाद घाट बना चंद्रशेखर आजाद घाट
शुक्रवार को पार्षद शिवसेवक सिंह ने महापौर को पत्र लिखकर इस बाबत सदन की बैठक बुलाने की मांग की थी. शनिवार को महापौर गणेश केसरवानी ने रसूलाबाद को चंद्रशेखर आजाद घाट करने की घोषणा कर दी, उन्होंने जल्द से जल्द शिलापट लगाने के निर्देश भी दिए. महापौर के मुताबिक एक-दो दिन में शिलापट लगाकर अनावरण किया जाएगा. नगर आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग का कहना है कि यह प्रस्ताव पहले से स्वीकृत है. लिहाजा, किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं है.
रसूलाबाद घाट पर ही हुई थी आजाद की अंत्येष्टि
अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की अंत्येष्टि रसूलाबाद घाट पर ही की गई थी. उस स्थल पर एक चबूतरा भी बना है, इसी कारण इस घाट का नाम चंद्रशेखर आजाद के नाम पर समर्पित करने का साढ़े तीन दशक पहले प्रस्ताव आया था, जिसे 1991 में मंजूर भी कर लिया गया.