अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय व्यवस्था में रणनीतिक वर्चस्व के लिए भारत और चीन अक्सर होड़ करते रहे हैं और सीमा विवादों में उलझे रहते हैं. हालांकि, अपने तमाम मतभेदों के बावजूद दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक दूसरे का सहयोग भी किया है।

G20 की बैठक में शामिल होने से पहले चीन ने एक बार फिर ऐसी हरकत कर दी है जिसे देखकर ये कहना उचित होगा कि ये ड्रैगन कभी सुधरेगा नहीं। चीन ने अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर भारत को भड़काने की कोशिश की है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के इस मुद्दे पर आपत्ति जताने के बाद भी चीन के कानों पर जूं रेंगने को तैयार नहीं है और उसने इसे एक सामान्य बात बता कर रफा-दफा कर दिया।

चीन के विदेश मंत्रायल का कहान है कि, “एक सामान्य प्रक्रिया के तहत चीन के साल 2023 के नक्शे का एडिशन जारी किया गया है”। जारी किए गए नक्शे को चीन की सरकार ने संप्रभुता और अखंडता का हवाला दिया है।

चीन का कहना है कि भारत इस मामले पर ज्यादा बात न करे, उसने उम्मीद भी जताई कि भारत उसके मकसद को सही से समझे और इसकी गलत व्याख्या न करे।

आपको बता दें कि, चीन ने अपने नए नक्शे में भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया है। जिसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन की तरफ से जारी किए गए नक्शे का विरोध किया था।

मीडिया से बातचीत के दौरान विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हमने चीन के ताथकथित 2023 मानक मानचित्र पर चीनी पक्ष के साथ राजनयिक चैनल्स के जरिए कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

बागची ने कहा कि चीनी पक्ष के ऐसे कदम केवल सीमा मुद्दे के समाधान को जटिल बनाते हैं। उन्होंने कहा कि चीन की ऐसी हरकतों को पूरी तरह से खारिज करते हैं, ऐसे कदम से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद उलझ जाएगा।

वैसे चीन की ऐसी हरकतें करने का आदी हो चुका है, मैप के जरिए पहले भी चीन ने ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को अपना हिस्सा बताया था।

इसके अलावा चीन ने वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर क्षेत्र पर अपना दावा पेश किया है। इधर, ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है। लेकिन चीन ताइवान पर वन चाइना पॉलिसी के तहत अपना हिस्सा मानता है।

हाल ही में ब्रिटिश संसद ने ताइवान को एक अलग देश की मान्यता दे दी है, ऐसे में ब्रिटेन और चीन के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है।

गौर करने वाली बात ये है कि, बीते सोमवार को मानचित्रण प्रचार दिवस के मौके पर चीन के नेचुरल रिसोर्स मिनिस्ट्री की ओर से झेजियांग प्रांत के डेकिंग काउंटी में यह मानचित्र को जारी किया।

इस मंत्रालय की ओर से होस्ट की जाने वाली स्टैंडर्ड मैप सर्विस की वेबसाइट पर भी नए मैप को जारी किया गया है।

बता दें कि, इस मानचित्र को चीन के अलावा दुनिया के विभिन्न देशों की सीमाओं की ड्रॉइंग पद्धति के आधार पर तैयार किया गया है।

चीन की ओर से ऐसा तब किया जा रहा है जब हाल ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी।

इस दौरान विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी बातचीत में पीएम मोदी ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा के मुद्दे उठे थे।