नई दिल्ली: तीज उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार समेत कई राज्यों में पूर्वी जगह पर मनाया जाने वाला त्योहार है। अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करने के लिए विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं,व कुंवारी लड़कियां अपना मनचाहा वर को पाने के लिए व्रत रखती हैं।
इसमें भगवान भोले बाबा और माता पार्वती जी की पूजा की जाती हैं। चलिए आपको बताते हैं व्रत का महत्व व पूजा विधि
कजरी तीज का महत्व : भगवान शिव और देवी पार्वती की इस दिन विशेष तौर पर पूजा की जाती है। सुहागिन महिलाओं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है इस व्रत को रखने से ।भगवान शिव जी से शादी करवाने में देवी पार्वती 108 जन्म लेने के बाद सफल हुई थी।निस्वार्थ प्रेम के तौर पर धूमधाम से इस शुभ दिन को मनाया जाता है।
भोलेनाथ ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया ये पार्वती माता की निस्वार्थ भक्ति ही थी।पकवान में इस दिन जौ, चने, गेंहू के सत्तू बनाए जाने का काफी महत्व है। कई विशेष पकवान इसमें घी और मेवा मिलाकर तैयार किए जाते हैं।रात में चंद्रमा की पूजा करके व्रत खोला जाता है।गाय की पूजा का इस दिन विशेष महत्व हैं। इस शुभ दिन पर महिलाएं झूला झूलती हैं अपने व्रत को काफी उत्साह से बनती हैं।
पूजा की विधि
प्रात काल स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें
घर की साफ सफाई करके सही दिशा चुने
मिट्टी और गोबस से दीवार के सहारे छोटा सा घेरा बनाकर तालाब बनाएं।
कच्चा दूध, जल भरकर किनारे पर तलाब में दीपक जलाएं।
केला, सेब, सत्तू ,रोली मौली,अक्षत आदि एक थाली में रखें।
एक नीम की डाल तोड़कर तालाब के पास लगा दे।
इस नीम पर चुनरी ओढ़ाकर नीमड़ी माता की पूजा करें।
बिना कुछ खाए पिए दिन भर रहे हैं।
रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें।
मालपुए का भोग माता नीमड़ी को लगाएं।
पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोले।
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