क्यों मनाई जाती है त्रिदेवों के अवतार भगवान दत्तात्रेय की जयंती ?

by | 7 Dec 2024, 3:03:pm

भगवान दत्तात्रेय हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जिन्हें त्रिमूर्ति यानि कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश का अवतार माना जाता है.हिन्दू धर्म में भगवान दत्तात्रेय एक साथ तीन देवताओं के रूप में पूजित होते हैं.दत्तात्रेय भगवान का जन्म एक विशेष कथा के अनुसार हुआ था, जिसमें उनके पिता ऋषि अत्रि और माता अनुसूया थीं.भगवान दत्तात्रेय को ज्ञान, साधना, और ब्रह्मज्ञान का प्रतीक माना जाता है. भगवान दत्तात्रेय की जयंती (दत्तात्रेय जयंती) विशेष रूप से उनके जीवन, उपदेशों और उनकी उपस्थिति के महत्व को मनाने के लिए मनाई जाती है.यह दिन उनके जन्म की स्मृति के रूप में मनाया जाता है, और विशेष रूप से उनके भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है.आइए जानते है, भगवान दत्तात्रेय से जुड़ी जन्म की कहानी और जानिए क्यों मनाई जाती भगवान दत्तात्रेय की जयंती.

भगवान दत्तात्रेय जयंती की जन्म तिथि  

हिन्दू पंचांग के अनुसार भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीष मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, जो इस साल 14 दिसंबर 2024 की शाम 4 बजकर 58 से शुरू होकर अगले दिन यानि 15 दिसंबर दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी. भगवान दत्तात्रेय की जयंती को मनाना एक धार्मिक अवसर एक धार्मिक अवसर नहीं बल्कि एक आत्मिक उन्नति का मार्ग भी है, जो उनके उपदेशों और जीवन के आदर्शों को आत्मसात करने की प्रेरणा देता है. भगवान दत्तात्रेय की जयंती विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और दक्षिण भारत में बड़े श्रद्धा और धूमधाम से मनाई जाती है.

भगवान दत्तात्रेय के अवतरण की कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान दत्तात्रेय का जन्म अत्रि आश्रम में हुआ था. जब उनकी माता अनुसूया ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को तपस्या के प्रभाव से एक साथ भोजन कराया, तब देवताओं ने उन्हें वरदान के रूप में भगवान दत्तात्रेय का रूप दिया.इस कारण भगवान दत्तात्रेय में तीनों देवताओं का गुण मौजूद था.

भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाने का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान दत्तात्रेय को गुरु के रूप में पूजा जाता है, और उनकी पूजा से व्यक्ति को ज्ञान और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है.उनके उपदेशों में ध्यान, साधना और तप की महत्वपूर्णता है. दत्तात्रेय जयंती का आयोजन विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटका, तेलंगाना और दक्षिण भारत में बड़े धूमधाम से होता है.इस दिन श्रद्धालू पूजा, भजन, कीर्तन और व्रत रखकर भगवान दत्तात्रेय से आशीर्वाद लेते है, साथ ही साथ भक्त इस दिन विशेष रूप से तप, साधना और ध्यान में लीन रहते हैं.

Author

3 Comments

  1. Shikha

    Adbhut

    Reply
  2. Anupama

    Good information

    Reply
    • Yatii Singh

      Thanks

      Reply

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisment