दिल्ली हो या उत्तर प्रदेश सरकारी मेडिकल सुविधा में हर कोई फेल?

by | 16 Nov 2024, 9:36:pm

उत्तर प्रदेश में इस वक्त सरकारी सेवाएं अपनी आखिरी सांस गिन रही हैं अगर ये कहा जाए तो वो गलत नहीं हो सकता है। झांसी जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात बच्चों की मौत हमारी कथनी पर मुहर भी लगाती है। इन बच्चों की मौत महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) में हुई है। शुक्रवार की रात 10 बजे हुए इस हादसे में करीब 16 नवजात बच्चे गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। सरकारी तंत्र की विफलता के सहयोग से ये हादसा उस वक्त हुआ जब देश में नवजात शिशु सप्ताह मनाया (15 नवंबर से 21 नवंबर) जा रहा है।

सचिन महोर जो महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) हैं, इन्होंने बताया कि, “शुक्रवार की रात 10 बजे से 10:45 के बीच नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) वॉर्ड में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी, जहां 49 बच्चे उस समय वहां भर्ती थे”।

सचिन महोर महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) हैं ये इतने सजग थे कि, मृतक 3 नवजात बच्चों की पहचान नहीं कर पाए। सचिन महोर जी के मुताबिक जिस यूनिट में आग लगी वहां पर ज्यादातर बच्चे ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, जहां स्पार्क फैल गया और आग लग गई।  

सरकारी मेडिकल लापरवाही में उत्तर प्रदेश ही नहीं उस जगह का भी नाम आता है जहां के मुख्यमंत्री कभी सबकी डिग्रियां मांगते घूमते थे।

हम बात कर रहे हैं नई दिल्ली की, जहां मई 2024 में विवेक विहार में चल रहे बेबी केयर अस्पताल में आग ने तबाही मचाई थी। जिसके बाद कई माताओं की गोद सूनी हो गई थी। उस दौरान भी बेबी केयर में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट ही बताया गया था।

अस्पताल में आग लगने के कई मामले हमारे सामने आते रहे हैं, जहां पर नवजात बच्चों को बचाया नहीं जा सका है। इन परिस्थितियों में ये सवाल तो उठाना बनता है कि आखिर अस्पतालों में लगती ही क्यों है?

नवजात बच्चों के लिए बने इंटेंसिव केयर यूनिट में आग लगने का जोखिम आखिर इतना क्यों होता है, ऐसे हादसों से बचने के लिए कौन से कदम हैं जो सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को उठाना चाहिए।

नवजात बच्चों को जन्म के बाद अक्सर इंटेंसिव मेडिकल केयर की जरूरत पड़ती है, जहां अक्सर उन्हें अस्पताल के नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) में रखा जाता है।

पहले जानिए नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट के बारे में:

डॉक्टर मोनिश गुप्ता जो दिल्ली के बत्रा अस्पताल में मेडिकल रिसर्च सेंटर में बाल रोग विभाग की अध्यक्ष हैं, वो बताती हैं कि नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) में नई टेक्नोलॉजी को जानने वाले ट्रेंड और हेल्थ प्रोफेशनल्स होते हैं, वो नवजात बच्चो की देखभाल करते हैं।

डॉक्टर मोनिश गुप्ता ने नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) के बारे में गहराई से बताया कि, “बच्चे के पैदा होने के बाद एक महीने तक उसे NICU में रखा जाता है। इनमें ज्यादातर वही बच्चे शामिल होते हैं जो समय से पहले पैदा हो जाते हैं या फिर नवजातों को सांस लेने में दिक्कत, वजन कम हो जाना या फिर उनका कोई ऑपरेशन करना हो”।

डॉक्टर मोनिश गुप्ता ने बताया कि, “NICU एक बहुत ही क्रिटिकल जगह होती है, जहां लगभग सभी मशीनें बिजली से चलती हैं। नवजात बच्चों को गर्म रखने के लिए वॉर्मर, वेंटिलेटर, फ्लूड के लिए पंप से लेकर मॉनिटर तक सबकुछ बिजली से ही चलता है। इसके अलावा जो मशीनें यहां उपयोग में ली जाती हैं उनपर बैटरी भी लगी होती है। जिससे की बिजली जाने के बाद उन मशीनों का काम रुके नहीं”।

डॉक्टर मोनिश गुप्ता ने बताया कि, “NICU में अगर वायरिंग सही से नहीं होगी तो ज्यादा लोड़ पड़ने से वहां शॉर्ट सर्किट हो जाता है और आग लग जाती है”

अस्पतालों में आग लगने की वजह क्या है?

दिल्ली में फायर सर्विस के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि, दिल्ली के में 99% केस ऐसे जहां आग केवल शॉर्ट सर्किट की वजह से लगती है।  

मीडिया को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि, “अस्पताल में आग लगने की घटना को देखा जाए तो ज्यादातर वजह केवल ओवर लोडिंग, शॉर्ट सर्किट और मशीनों का ज्यादा गर्म होना यही वजह आएगी”

अतुल गर्ग ने बताया कि, “शॉर्ट सर्किट की सबसे बड़ी वजह जो अक्सर पाई जाती है वो वायरिंग से रिलेटेड होती है, पुरानी वायरिंग में जब हम बिजली पास कराते हैं तो ऊपर इंसुलिन गल जाता है। सर्किट उस हिसाब से नहीं बनता जिस हिसाब से हम उसपर बिजली को पास करते हैं, MCB ठीक से काम नहीं करती और शॉर्ट सर्किट की वजह से हादसा हो जाता है”

भारत के अंदर पिछले कई दशकों से नेशन नियोनेटोलॉजी फोरम (NNF) नवजात बच्चों की गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल को पूरी तन्मयता के साथ कर रहा है।

नेशन नियोनेटोलॉजी फोरम (NNF) ने UNICEF और WHO के साथ मिलकर एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो बताता है कि अस्पतालों और नर्सिंग होम में नवजात बच्चों की देखभाल किए जाने के मानकों को तय करता है।

आपको बता दें कि NNF एक गैर सरकारी संस्था है जो अस्पतालों के NICU और नर्सिंग होम को मान्यता देता है।

NNF के महासचिव सुरेंद्र सिंह बिष्ट ने झांसी में हुई बच्चों की मौत पर अपना दुख जताया। सुरेंद्र सिंह बिष्ट की मानें तो भारत में सैकड़ों ऐसे NICU हैं, जो नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थ केअर (NBH) या नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम (NNF) जैसी एजेंसियों से मान्यता नहीं लिए हैं, और यही वो सबसे बड़ी वजह है कि हम जांच नहीं कर पाते और हादसे बढ़ते जा रहे हैं।

सुरेंद्र सिंह बिष्ट ने अस्पताल में शॉर्ट सर्किट की वजह पर विस्तार से लोगों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि, “बिजली के एक प्वाइंट पर एक्सटेंशन लगाकर आप 4 मशीनें नहीं चला सकते, अगर आप ऐसा करते हैं तो तारें गर्म होकर गलने लगती हैं और हादसा हो जाता है”।

सुरेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि, “NNF ने भारत में 300 से ज्यादा अस्पतालों और नर्सिंग होम को चिन्हित किया है, जो मानकों का पालन करते हुए नवजात बच्चों का इलाज कर रहे हैं। जिनकी जांच समय-समय पर होती रहती है”।

अस्पताल में हुई बच्चों की मौत पर एक नजर:

मई 2024 में दिल्ली के विवेक विहार में बने अस्पताल में आग लगने से 7 नवजात बच्चों की मौत.

जनवरी 2021 में महाराष्ट्र के भंडारा में बने जिला अस्पताल में 10 नवजात बच्चों की मौत

नवंबर 2002 में मध्य प्रदेश के भोपाल में बनें कमला नेहरू अस्पताल में 4 बच्चों की मौत

दिसंबर 2011 में पश्चिम बंगाल के एक निजी अस्पताल में MRI विभाग में आग लगने से लगभग 89 लोगों की मौत.

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6 Comments

  1. आचार्य पण्डित गीतेश वत्स

    बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है बहुत ही गंभीर विषय है सरकार को इस विषय को बहुत गंभीर से लेना चाहिए जिस देश की मेडिकल व्यवस्था खराब है जिस देश की शिक्षा व्यवस्था खराब है वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता वर्तमान की सत्ता को गंभीरता से इस केस को लेना चाहिए जो बच्चे चले गए वह वापस नहीं आ सकते परंतु हालातो को सुधारा जा सकता है

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    • Kunwar Digvijay Singh

      Thanks

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  2. Akshay

    Bahut badhiya likha hai

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    • Kunwar Digvijay Singh

      Thanks

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  3. अनुराग

    सरकार को आपने लेख से जगाने का बहुत ही सराहनीय काम कर रहें हैं

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    • Kunwar Digvijay Singh

      Thanks

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