महाकुंभ-अर्धकुंभ धर्म व सांस्कृति का अनूठा संगम, जानें दोनों में अंतर !

by | 5 Dec 2024, 1:53:pm

भारत देश सभ्यताओं और परंपराओं का देश है. जहां प्रत्येक दिन अलग-अलग रंग देखने को मिलते है. श्रद्धा और आस्था का ये देश जहां के लोग पत्थर में भी भगवान को पूजते हैं. वहां के लोगों के लिए कोई भी परंपरा तब तक बनी रहती है, जबतक उनका जीवन है. हजारों-लाखों वर्षों चलती आ रही परंपराएं हिन्दू राष्ट्र में एक आम दिन के रूप में नहीं बल्कि त्योहार के रूप में मनाई जाती है.

हिन्दू मान्यताओं में ये परंपरा एक श्रद्दा और आस्था का वो प्रतीक है, जो भारत देश में लोगों को लोगों से जोड़ता है. आज हम आपको ऐसी एक परंपरा के बारे में बताने जा रहे है, जिसको मनाने के लिए देश क्या दुनिया के कोने-कोने से करोड़ों लोग एक साथ इकठ्ठे होते है.

आस्था और संस्कृति का अनूठा संगम

कुंभ मेला आस्था का वह संगम जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को हमेशा जीवित रखता है. कुंभ मेला और अर्धकुंभ मेला दोनों ही हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक मेलों में आते हैं, जो विशेष रूप से भारतीय संस्कृति और श्रद्धा से जुड़े हैं. इन मेलों का आयोजन धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है.हालांकि, कुंभ और अर्धकुंभ में अंतर है, जो उनके आयोजन के समय और स्थान पर आधारित है.

कुंभ से जुड़ी पौराणिक मान्यता

कुंभ मेला का नाम कुंभ (अमृत का कलश) और मेला (उत्सव) से लिया गया है. यह नाम “समुद्र मंथन” की कथा से जुड़ा है, जिसमें देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्ति के लिए युद्ध हुआ था.इस युद्ध के दौरान अमृत का कलश देवताओं के पास आया और उसे लेकर एक पंखी (गरुड़) उड़ गया.अमृत के चार बूँदें पृथ्वी पर गिरीं और इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित होता है.

महाकुंभ और अर्धकुंभ भारतीय संस्कृति के खास धार्मिक पर्व

महाकुंभ मेला का आयोजन चार प्रमुख तीर्थ स्थानों पर होता है. कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार विशेष स्नान का आयोजन होता है।उन प्रमुख स्थानों के नाम है, प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक.

अर्धकुंभ मेला का आयोजन हर 6 साल में होता है और यह कुंभ मेला के आयोजन के दो साल बाद होता है. अर्धकुंभ मेला भी कुंभ मेला का एक महत्वपूर्ण रूप है, जो कुंभ मेला के बीचवाले वर्षों में आयोजित होता है. यानि सरल भाषा में समझे तो इसका आयोजन हर छह साल में एक बार होता है.

अर्धकुंभ मेला, कुंभ मेला से छोटा होता है, लेकिन इसका धार्मिक महत्व कम नहीं है। अर्धकुंभ मेला प्रमुख रूप से हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित किया जाता है.

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2 Comments

  1. Rekha pundir

    Good knowledge

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  2. Shikha

    Nice

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