भारत वो देश रहा है जिसे मुगल, डच, पुर्तगालियों और अंग्रेजों ने अपने समय में खूब लूटा जिसका सबसे बड़ा कारण ये था कि हमारे यहां रियसतें उस वक्त एक न हो सकीं, इस आधुनिक युग में कुछ नहीं बदला है, सब कुछ वैसे का वैसा ही है, बस देश के साथ गद्दारी का तरीका बदल गया है.
आजादी के बाद से भारत ने अपने लोकतंत्र को नई बुलंदियां देने का काम किया, टेक्नोलॉजी और स्पेस सेक्टर अपनी ताकत का लोह मनवाया, शायद इसी बात ने पश्चिमी देशों की बड़ी ताकतों के ऐसी जगह आग लगाई है जिसे वो बुझा नहीं पा रहे हैं. वो अपनी ताकत हमारे भारत देश को नाकाम और नकारा साबित करने में लगा रहे हैं.
पश्चिमी देश के एक ऐसे दरिंदे के बारे में बताएंगे जो भारत की एकता, अखंडता और अस्मिता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है, इसके साथ कंधे से कंधा मिलकार चल रहे हैं भारत देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार के युवराज राहुल गांधी और उनके चमचे.
अमेरिका में बैठे इस कुख्यात दरिंदे का नाम है जॉर्ज सोरोस, जो इस वक्त भारत की तरफ नजर टेढ़ी करके बैठा है. जो अपने एंटी-भारत एजेंडे में लोगों को शामिल कर रहा है बल्कि उन्हें वित्तीय सहायता पूरी तरह से प्रदान कर रहा है. ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग (OCCRP) को फंड करने वाले हंगरी मूल के अमेरिकी कारोबारी और हेज फंड मैनेजर जॉर्ज सोरोस ने कांग्रेस पार्टी के सांसद राहुल गांधी को अपना पालतू बनाकर भारत के बड़े बिजनेस मैन गौतम अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा है.
भाग सोरोस अडानी अमेरिका आया
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद जॉर्ज सोरोस के इशारों पर नाचने वाली संस्था OCCRP ने प्रधानमंत्री न मोदी को अहमदाबाद स्थित बिजनेस मैन गौतम अडानी के करीबी सहयोगी के रूप में कनेक्ट किया है।
जॉर्ज सोरोस ने अपने एक बयान में कहा था कि “नरेन्द्र मोद और अडानी करीबी सहयोगी हैं और उनका विश्वास आपस में जुड़ा हुआ है. अडानी एंटरप्राइजेज, शेयर बाजारों में धन जुटाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन असफल रहा है. अडानी पर स्टॉक में हेरफेर का आरोप है, और उनके शेयर, ताश के पत्तों की तरह ढह गए है. मोदी इस विषय पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों का जवाब देना होगा.”
हाल ही अमेरिका में भारतीय बिजनेस मैन गौतम अदानी पर एक वाहियात मुकदमा दर्ज किया गया, जिसमें एक बिजली के प्रोजेक्ट के बदले में रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है. इसके बाद से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भारतीय बिजनेस मैन गौतम अदानी को गिरफ्तार करने की मांग की. वैसे जॉर्ज सोरोस के इशारे पर समय-समय पर भारतीय बिजनेस मैन गौतम अदानी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी और सांसद राहुल गांधी कोई न कोई स्वांग रचते रहते थे.
अराजकता का नाम जॉर्ज सोरोस
साल 2016 में अमेरिकी में हुए राष्ट्रपति चुनावों में इस कुख्यात जॉर्ज सोरोस पर सत्ता परिवर्तन के प्रयासों के इलजाम लग करते थे. DC Leaks ने इस बात के साक्ष्य दिए कि सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की तरफ से OSF को हिलेरी क्लिंटन के अभियानों को बढ़ाने और उनके पक्ष में प्रदर्नशनकारियों को बढ़ावा देने के लिए कई मेल और 30 मिलियन का भुगतान किया था.
ऐसा माना जाता है कि, साल 2024 में भारत में हुए लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनवा प्रचार करने के लिए इस अजगर ने करीब 45 मिलियन खर्च किए थे वो भी कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी के साथ मिलकर.
जॉर्ज सोरोस पर भड़के ट्रंप बैन की तैयारी
परोपकारी की चादर से मासूमियत को दिखाने वाले जॉर्ज सोरोस की मुसीबत बढ़ने वाली है. मिली जानकारी मुताबिक अमेरिका में हाल ही में राष्ट्रपति का चुनाव जीते डॉनल्ड ट्रंप ने जॉर्ज सोरोस पर बैन लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. डॉनल्ड ट्रंप ने X पर पोस्ट लिख कर कहा था कि, जॉर्ज सोरोस अमेरिका में वामपंथियों की विचारधार को मजबूती देने का काम कर रहे हैं.
बता दें कि सोरोस परिवार ने 2024 में “MAGA-शैली के रिपब्लिकन” के खिलाफ अभियान में फंडिंग की थी
भारत को क्यों तोड़ना चाहते हैं कुख्यात जॉर्ज सोरोस?
93 साल के कुख्यात बुजुर्ग जॉर्ज सोरोस भारत की राजनीतिक गलियारों में इस वक्त उन सभी के प्रिय हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय बिजनेस मैन गौतम अडानी के खिलाफ हैं.
BJP ने साफ कहा कि, जॉर्ज सोरोस भारतीय लोकतंत्र को ‘नष्ट’ करना चाहते हैं और कुछ “चुने हुए” लोगों को सरकार चलाने के लिए लाना चाहते हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जॉर्ज सोरोस के बारे में ये कहा था कि, सोरोस एक अमीर, बुजुर्ग और बेहद ही खतरनाक इंसान हैं. “कुछ साल पहले, उन्होंने हम पर लाखों मुसलमानों की नागरिकता छीनने की योजना बनाने का आरोप लगाया, जो बाद में गलत साबित हुआ.
बैंक को निगलकर परोपकार की नौटंकी
कुख्यात जॉर्ज सोरोस विश्व के दिग्गज व्यवसायी के साथ सबसे बड़े नौटंकीबाज का अवॉर्ड भी दिया जाना चाहिए. जॉर्ज सोरोस ने अपने जीवन में कई परोपकार करने का काम किया है. 1979 में, सोरोस ने ओपन सॉसाइटी फाउंडेशन (OSF) की स्थापना की, जो विश्व में सबसे बड़े परोपकारी संगठनों में से एक बन गया है. ये फाउंडेशन दुनिया के 120 से अधिक देशों में परोपकार करने का कार्य करता है-
- शिक्षा और विज्ञान: जॉर्ज सोरोस अपनी OSF के जरिए उन गरीबों की मदद करते हैं जो किसी कारणवश पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. साल 1991 में जॉर्ज सोरोस की OSF ने बुडापेस्ट में सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी की स्थापना की।
- मीडिया स्वतंत्रता: OSF उन स्वतंत्र मीडिया और पत्रकारों का समर्थन करता है जो सेंसरशिप अथवा उत्पीड़न का सामना करते हैं।
इन सब के बीच एक सच ये भी है कि इस कुख्यात महत्वाकांक्षी बिजनेस मैन जॉर्ज सोरोस ने अपने फायदे के लिए एक देश की पूरी बैंक को ही खत्म कर दिया था.
जॉर्ज सोरोस को बैंक ऑफ इंग्लैंड का लुटेरा कहा जाता है, 16 सितंबर साल 1992 का दिन इंग्लैंड के इतिहास में काले बुधवार के नाम से जाना जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि जॉर्ज सोरोस की वजह से ही ब्रिटिश सरकार को यूरोपीय एक्सचेंज रेट मैकेनिज्म से स्टर्लिंग वो इंग्लैंड वापस लाने के लिए मजबूर होना पड़ा था.
आपको बता दें कि इस कुख्यात ने अपनी गोद में सैकड़ों वामपंथी पत्रकार, कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जो अलग-अलग देशों के नेताओं और अलग-अलग देशों की लोकतांत्रित व्यवस्था के खिलाफ मुहिम चलाते हैं.
भारत में हिन्दुओं की बात करने से सोरोस को दिक्कत क्यों?
भारत में जब CAA लागू करने की योजना चल रही थी तब से ही जॉर्ज सोरोस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी दिक्कत होने लगी थी. अपने बयान में जॉर्ज सोरोस ने उस समय कहा था कि यह भारत के लिए सबसे बड़ा और भयानक झटका है, जहां लोकतांत्रिक रूप से चुनकर आए नरेंद्र मोदी भारत को एक हिंदू राष्ट्रवादी देश बना रहे हैं.
जॉर्ज सोरोस ने ये भी कहा था कि, “मोदी कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A को हटाकर वहां रहने वाले मुसलमानों को मार रहे हैं और CAA के जरिए वो वहां के मुसलमानों की नागरिकता को छीनना चाहते हैं”.
जॉर्ज सोरोस के इस बयान के बाद से ही कांग्रेस पार्टी और कुछ वामपंथी पत्रकारों ने दरी चद्दर लेकर CAA और अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करना शुरू कर दिया था.
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