by Mayank Shukla | Dec 3, 2024 | विशेष
“जो भरा नहीं भावों से जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं” – कवि मैथिलीशरण गुप्त की ये पंक्तियां उनकी दूरदर्शिता को साबित करती हैं। आप सोच रहे होंगे कैसे? तो बात ऐसी है कि बांग्लादेश कभी भारत का हिस्सा हुआ करता...