नेताओं से सवाल पूछना क्या गुनाह है, अगर नहीं तो- समाजवादी पार्टी के अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद ने अयोध्या में मीडिया से अभद्रता क्यों की. क्या मीडिया समाजवादी पार्टी के नेताओं को अब बुरी लगने लग गई है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सांसदों को मीडिया से बदतमीजी करने का लाइसेंस दिया है.
सवालों के घेरे में सपा सांसद का बर्ताव:
समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है. वीडियो में सांसद मीडिया से सवाल पूछने पर भड़कते हुए नजर आ रहे हैं.
मामला तब शुरू हुआ जब मीडिया ने सपा नेता और पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव सूरज चौधरी के पार्टी छोड़ने पर सवाल किया.
इस पर समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने तल्खी भरे लहजे में कहा, “छोड़िए यह सब मत पूछिए, जिसका कोई स्टेटस नहीं, उसके बारे में सवाल मत पूछिए. देश स्तर का सवाल पूछिए”.
इस बयान ने जहां समाजवादी पार्टी की छवि पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं सांसद की इस तरह की प्रतिक्रिया पर भी आलोचना हो रही है.
मीडिया को सवाल पूछने का अधिकार है:
मीडिया, जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, जो जनता और सरकार के बीच सेतु का काम करता है. ऐसे में सवाल पूछना मीडिया का अधिकार और कर्तव्य दोनों है. लेकिन जब कोई जनप्रतिनिधि मीडिया के सवालों को अनदेखा करते हुए इस तरह का व्यवहार करता है, तो यह न केवल मीडिया बल्कि लोकतंत्र की स्वतंत्रता पर भी चोट करता है.
क्या सूरज चौधरी के पार्टी छोड़ने से डरी सपा?
पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव सूरज चौधरी ने हाल ही में समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ लिया. उनके इस फैसले ने पार्टी के अंदरखाने में हलचल मचा दी है. सूरज चौधरी ने पार्टी की नीतियों और नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए इस्तीफा दिया. हालांकि, समाजवादी पार्टी का नेतृत्व इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है.
जब मीडिया ने इस मुद्दे पर अवधेश प्रसाद से प्रतिक्रिया मांगी, तो उनकी तल्ख प्रतिक्रिया ने यह संकेत दिया कि पार्टी इस मुद्दे पर असहज है. सवाल यह उठता है कि अगर सूरज चौधरी का पार्टी में कोई “स्टेटस” नहीं था, जैसा कि सांसद ने कहा, तो उनकी विदाई पर इतना बड़ा विवाद क्यों खड़ा हो रहा है?
मीडिया से बदतमीजी: सपा सांसद का दोहरा चेहरा उजागर
सिर्फ सवाल पूछने पर सांसद का मीडिया के साथ बदतमीजी करना यह दर्शाता है कि समाजवादी पार्टी नेताओं के व्यवहार में पारदर्शिता की कमी है. पार्टी अक्सर खुद को जनता के हितों की संरक्षक के रूप में प्रस्तुत करती है, लेकिन जब सवाल उनकी अंदरूनी समस्याओं पर होता है, तो यही नेता आक्रामक हो जाते हैं.
इस तरह का व्यवहार सपा की उस छवि के विपरीत है, जिसे वह जनता के बीच दिखाने की कोशिश करती है।
जनता की अदालत में सवालों की बौछार:
सूरज चौधरी जैसे नेताओं का पार्टी छोड़ना और उसके बाद नेतृत्व का ऐसे बर्ताव करना यह सवाल खड़ा करता है कि क्या समाजवादी पार्टी अपने अंदरूनी मुद्दों को सुलझाने में सक्षम है? जनता ने उन्हें चुना है ताकि वे पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ काम करें. लेकिन ऐसे बर्ताव न केवल पार्टी बल्कि पूरे राजनीतिक तंत्र पर सवाल खड़े करते हैं.
समाजवादी पार्टी नेतृत्व पर दबाव:
सांसद अवधेश प्रसाद की इस हरकत के बाद समाजवादी पार्टी नेतृत्व पर दबाव बढ़ गया है. पार्टी को न केवल सांसद के व्यवहार पर सफाई देनी होगी, बल्कि मीडिया के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए कदम उठाने होंगे.
मीडिया पर हमला: क्या यह लोकतंत्र की परंपरा के खिलाफ है?
सांसद अवधेश प्रसाद का बयान लोकतंत्र की उस परंपरा के विपरीत है, जहां जनता के प्रतिनिधियों को हर सवाल का उत्तर देने के लिए तैयार रहना चाहिए. मीडिया पर हमला और सवालों से बचने की कोशिश दर्शाती है कि पार्टी को अपनी पारदर्शिता पर भरोसा नहीं है.
निष्कर्ष
समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद द्वारा मीडिया के साथ किए गए दुर्व्यवहार ने एक बार फिर साबित किया है कि कुछ नेताओं को जवाबदेही से परहेज है. यह वक्त है कि समाजवादी जैसी पार्टियां अपनी नीतियों और व्यवहार को लेकर आत्ममंथन करें. मीडिया के सवालों को न केवल सुनने की जरूरत है, बल्कि उनके जवाब देने की भी.
सवाल उठता है कि जब नेता मीडिया को जवाब देने से बचते हैं, तो वे जनता के सवालों का सामना कैसे करेंगे?
Nice Story Sir