हिंसा का फायदा उठाने वाली राजनीति कब तक !

by | 4 Dec 2024, 10:56:pm

एक समय होता था जब सरकार विपक्ष के नेता को अपना प्रतिनिधित्व करने विदेश में भेजती थी, इसके बाद देश में वो दौर आया जब देश में दंगे होने पर विपक्ष सरकार को घरेती थी. लेकिन, अब वो दौर आया है जब आंख बंद करके दंगे पर भावनात्मक राजनीति होती दिख रही है और इस बात से बिलकुल इंकार नहीं किया जा सकता है कि हमारे न्यायाधीश भी भविष्य राजनीतिक लालसा को ध्यान में रखते हुए टिप्पणियां करने से नहीं चूक रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा और तनाव के माहौल को अत्यधिक चरम पर ले जाने की राजनीति इस वक्त देश में हो रही है. वो भी आंखों को पूरी तरह से बंद करके. क्योंकि फिलस्तीन, सीरिया, संभल में अगर विशेष समुदाय के लोग मारे जाते हैं तो मौजूदा विपक्षी नेता परिवार के साथ सरकार पर निशाना साधने तो निकल पड़ते हैं लेकिन, पड़ोसी देश में हिन्दुओं और सनातन धर्म में विश्वास रखने वालों पर जो अत्याचार हो रहा है उस पर इनके मुंह में अलीगढ़ वाला ताला एक सील के साथ लग जाता है.

नेता फायदा उठाना जानते हैं वो आएंगे लच्छेदार बातें करेंगे और फिर फिजा बनाकर चल देंगे – ये कहना है संभल हिंसा में मारे गए नईम के परिवार के लोगों का.

संभल क्यों जाना चाहते हैं राहुल गांधी ?

कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने छोटे बच्चों की तरह जिद्द बांध ली कि वो संभल में हिंसा में मारे गए लोगों के परिवार के लोगों से बिना मिले नहीं रहेंगे. लेकिन, यूपी पुलिस ने दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर ही दोनों नेताओं को सभंल जाने से रोक दिया.

वहीं संभल हिंसा में मारे गए नईम के भाई ने मीडिया के आकर बयान दिया कि, “नेता और मीडिया 10 दिन बाद यहां से चली जाएगी, हम नहीं चाहते कि कोई हमें परेशान करे”. मृतक नईम की मां इदरीशा ने बयान देते हुए कहा, “मुझे मेरा बेटा चाहिए, मेरे बेटे को गोली लगी थी, कोई साथ नहीं देता”.

दरअसल 19 नवंबर को संभल में कोर्ट के आदेश पर शाही मस्जिद का सर्वे करने पहुंची टीम पर कुछ अराजकतत्वों ने गोली बारी और पत्थरबाजी कर दी थी जिसके बाद से ही इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है.

संभल हिंसा में पुलिस ने दावा किया है कि, उसे वहां पाकिस्तान में उपयोग की जाने वाली गोलियां मिली हैं. जिससे ये साबित होता है कि संभल में हिंसा एक सुनियोजित तरीके से की गई है, इसकी तैयारी काफी पहले से की गई थी.

संभल हिंसा पर अखिलेश यादव का बयान

उत्तर प्रदेश में हिंसा हो और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कुछ न बोलें ऐसा तो मुमकिन ही नहीं है. बांग्लादेश में हिन्दुओं की बहन, बेटियों के साथ हो रही अभ्रता और नरसंहार पर अपनी वाक्यपटुता की पेटी को छुपाकर रखने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भले ही कुछ न बोला हो लेकिन, संभल में हुई हिंसा से उनके दिल को धक्का लगा, उन्होंने सीधे कह दिया कि BJP सरकार और अधिकारियों के द्वारा दंगा कराया गया है. सरकार ने 2027 का चुनाव जीतने के लिए राज्य में डर का माहौल पैदा कर दिया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि, “संभल हिंसा में मारे गए लोगों को सपा 5-5 लाख रुपए मुआवजा देगी, राज्य सरकार भी मृतकों के परिवार को 25-25 लाख रुपए का मुआवजा दे”.

फिलहाल जिस तरह से संभल हिंसा में पाकिस्तान के कारतूस का मिलना, अमेरिका में बैठे बुजुर्ग अजगर जॉर्ज सोरोस का बयान आने के बाद नेताओं का संभल को लेकर उछलकूद मचाना ये साबित करता है कि वो हिंसा के और विकराल रूप नहीं लेने से कितने दुखी हैं.

संभल हिंसा पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की राजनीति को लेकर लोगों में काफी आक्रोश दिखा, दिल्ली-गाजिपुर बॉर्डर पर जनता ने कांग्रेस नेताओं को थप्पड़ भी मारे।

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