क्या राहुल गांधी घमंडी हैं?

by | 28 Nov 2024, 1:42:pm

घमंड किसी भी इंसान के व्यक्तित्व की परिभाषा को दर्शाता है. 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जो थोड़ी बहुत सफलता मिली थी उसका अभिमान उनके द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट और नेताओं की बयानबाजी में साफ-साफ दिखने लगा था.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी, उनकी पार्टी के नेता और समर्थकों ने खुद को भारत के भाग्य विधाता मान लिया था. लेकिन, महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उनकी आंखों में रोशनी देने का काम उनकी I.N.D.I.A के नेता काम कर रहे हैं.

T.M.C नेता ममता बनर्जी ने कांग्रेस नेताओं को आइना दिखाते हुए साफ कहा कि वो कोई रबर स्टैंप नहीं हैं. दरअसल भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के कथित और भ्रामक भ्रष्टाचार पर कांग्रेस ने सदन में हंगामा काटा जिससे सदन नहीं चली.

कांग्रेस को ये उम्मदी थी कि T.M.C भी उसका इस मामले में साथ देगी लेकिन, T.M.C नेता ममता बनर्जी ने कांग्रेस को ही नसीहत दे डाली और साफ-साफ कहा कि वो रबर स्टैंप नहीं हैं, कांग्रेस सदन को चलने दे.

मिली जानकारी के मुताबिक T.M.C नेता ममता बनर्जी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने अडानी मामले पर अपना रुख साफ कर दिया है कि वो भले ही I.N.D.I.A गठबंधन की नेता हैं लेकिन कांग्रेस के एकतरफा फैसले को मानने के लिए कोई गुलाम नहीं हैं.

आपको अवगत करा दें कि, 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और T.M.C ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था.

सदन को चलाना नेताओं की जिम्मेदारी

T.M.C के एक नेता का कहना है कि, “हमारी पार्टी भ्रष्टाचार पर चर्चा करना चाहती है, संसद के जो दोनों सदन स्थगित हुए हैं, वो केवल अडानी के कथित और भ्रामक भ्राष्टाचार के मुद्दे पर हुई थी. लेकिन, देश में अडानी से बड़े मुद्दे हैं. हम नहीं चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल के लोगों के मुद्दे सदन में न पहुंचे”.

T.M.C नेता का कहना है कि, “केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल को पैसा नहीं दिया है, देश में हर चीजों के दाम आसमान पर पहुंच रहे हैं, महिलाओं के साथ बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया जा रहा है, उस पर त्वरित न्याय कानून बनाया जाए जैसे मुद्दों को हम सदन के बीच ले जाना चाहते हैं. इन सभी मुद्दों पर काम हो इसके लिए सदन का चलना जरूरी है. जहां तक रही बात अडानी की तो वो देश के उद्योगपति हैं और हम अपने देश के लोगों के साथ खड़े हैं. फूट डालो और राज करो की राजनीति अब पुरानी हो चुकी है”.

क्षेत्रीय दल कांग्रेस मुक्त होना चाहते हैं?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान अक्सर ऐसा दर्शाते हैं कि देश में एकता, अखंडता नहीं रही है और लोगों के बीच वैमनस्य बढ़ गए हैं. लेकिन, संसद में उनके साथ उनसे दूरी बनाते दिख रहे हैं.

भारत की संसद में गठबंधन के सदस्य होने के बाद भी T.M.C और कांग्रेस के बीच संबंधों में दरार दिखने लगी है. T.M.C लोकसभा चुनाव से पहले I.N.D.I.A को छोड़ने के लिए तैयार थी ऐसा कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन, सदन नहीं चलने देने की वजह से अब ये दरार थोड़ी बड़ी होती दिख रही है.

हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त के बाद T.M.C ने अपने सहयोगी पर वार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और उसे अहंकारी कह कर संबोधित किया है. T.M.C ने साफ कह कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को अपने साथ वहां नहीं लाती जहां वो मजबूत दिखती है.

कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों से दिक्कत

देश की सबसे बड़ी पार्टी को क्षेत्रीय दलों से ज्यादा दिक्कत होती है ये कहाना है T.M.C के कद्दावर नेता और सांसद साकेत गोखले का. उन्होने कहा कि, “क्षेत्रीय दलों के साथ नहीं चलने से ये रवैया चुनाव में हार का सबसे बड़ा कारण बन जाता है, कांग्रेस का चरित्र है कि वो क्षेत्रीय दलों को अपने साथ रखने से खुद को छोटा समझने लगती है. कांग्रेस के लिए आपदा का कारण अहंकार, वर्चस्व और क्षेत्रीय दलों को नीची नजर से देखना बनता है”.

Author

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisment