हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान का प्रेम और आशीर्वाद कभी खत्म नहीं होता. इसका उदाहरण है, भगवान जगन्नाथ.
भक्तों के लिए भगवान जगन्नाथ का दिल हमेशा धड़कता है. भगवान जगन्नाथ प्रेम और उनका दिल समय, स्थान और रूप से परे है, भगवान जगन्नाथ को भगवान कृष्ण का ही रूप माना जाता है, और उनके दिल में कृष्ण का निवास होता है.
हम एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करेंगे जहां भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में आज भी दिल धड़कता है.
‘जगन्नाथ पुरी में अभी भी धड़कता है कृष्ण का दिल’
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार उड़ीसा के पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित है. कहा जाता है कि एक दिन जब श्री कृष्ण पेड़ पर विश्राम कर रहे थे, तो एक शिकारी ने उनके पैरों में तीर मार दिया, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई.
पांडवों ने श्री कृष्ण की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार किया तो, उनका शरीर तो पूरा जलकर नष्ट हो गया मगर दिल फिर भी धड़कता रहा. पांडवों ने उनके दिल को समुद्र में प्रवाहित कर दिया.
श्री कृष्ण का दिल लकड़ी के लठ्ठे के रूप में परिवर्तित हो गया और उड़ीसा के समुद्र तट पर जा पहुंचा. कहा जाता है कि जगन्नाथ पुरी के मंदिर में आज भी भगवान कृष्ण की मूर्ति श्री कृष्ण का दिल धड़कता है.
मान्यताओं के अनुसार उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में हर 12 साल बाद जब भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्ति बदली जाती है, उस समय पुजारी की आंखों पर पट्टी बांधी जाती है.
जिससे उस दिल रूपी द्रव्य पदार्थ को कोई देख नहीं सके. क्योंकि जिस भी मनुष्य ने दिव्य पदार्थ को देखा है, उसकी मृत्यु हो जाती है.
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