संसद के अंदर नोट मिलने कहानी नई नहीं पुरानी है !

by | 6 Dec 2024, 9:15:pm

भारत की संसद पिछले कुछ सालों से गतिरोध के साथ चल रही है. लेकिन, संसद चले और हंगामा न हो ऐसा तो कतई संभव नहीं है. शुक्रवार को संसद में कुछ ऐसा हुआ जिसे जानकर हर कोई दंग रह गया है और कांग्रेसी नेताओं ने तो मुंह पर क्विक फिक्स ही लगा लिया है.

दरअसल शुक्रवार को राज्यसभा में चेकिंग करते हुए ₹500 के नोटों की गड्डियां मिलीं. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नोटों की गड्डियां मिलने की जानकारी सदन को दी.

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि, “गुरुवार को सदन की कार्रवाई स्थगित होने के बाद सदन की नियमित जांच करने वाली टीम को ₹500 के नोटों का बंडल सीट नंबर 222 मिला”.

आपको बता दें कि राज्यसभा में सीट नंबर 22 कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी के नाम पर आवंटित है.

रेट कारपेट पर मिला हरे नोटों का बंडल:

राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के नीचे ₹500 के नोटों का बंडल मिलने की खबर जैसे ही उच्च सदन में नेताओं के सामने आई तो हंगामा शुरू हो गया.

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के मुताबिक फिलहाल ₹500 के नोटों के बंडल को लेकर अभी तक किसी ने भी कबूला नहीं है. इस नोटों के बंडल के मामले में जांच सौंप दी गई है. नोट असली हैं या फिर नकली अभी तो ये भी नहीं पता लगाया गया है.

सदन में नोटों के मिलने का ये वाकया पहली बार का नहीं है. भरात का सदन कई बार ऐसे नोट के बदले वोट और कैश फॉर वोट कांड का गवाह बन चुका है.

इससे पहले भी सदन में खुलेआम नोटों की गड्डियां लहराई गईं है. चलिए हम आपको बताते हैं कि कैश फॉर वोट का पूरा मामला क्या था?

लोकसभा में लहराई गई नोटों की गड्डियां:

साल था 2008 और तारीख थी 22 जुलाई, ये वो वक्त था जब हमारे संविधान के मंदिर यानी कि देश की संसद में नोटों की गड्डियों को लहराया गया था. उस समय BJP के तीन दिग्गज नेत हाथ में बड़ा सा बैग लेकर लोकसभा में आए, ₹1 करोड़ बैग से निकालकर सदन में सबके सामने रख दिए.

BJP नेताओं के इस कार्य के बाद तो सियासी हड़कंप मच गया. तीनों सांसदों फग्गन सिंह, महावीर भगौरा और अशोक अर्गल ने नोटों की गड्डियों को लोकसभा में लहराते हुए कहा कि, “हमें खरीदने की कोशिश की गई थी”. इस कांड को कैश फॉर वोट या फिर कहें कि नोट के बदले वोट कांड का नाम दिया गया.

22 जुलाई को कैसे क्या-क्या हुआ?

कैश फॉर वोट या फिर कहें कि नोट के बदले वोट कांड 22 जुलाई 2008 को हुआ था जिसे आज भी भारतीय संसद के लिए एक काले दिन के रूप में माना जाता है.

बता दें कि जब कैश फॉर वोट कांड हुआ था पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पहला कार्यकाल था. अमेरिका के सात परमाणु समझौते पर वाम दलों ने UPA गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले लिया था. जिसकी वजह से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार को विश्वासमत हासिल करना पड़ा था.

विश्वासमत की कार्रवाई के दौरान BJP के तीनों सांसद अपने हाथ में नोटों की गड्डियों को लेकर खड़े हो गए. इसके बाद तो संसद के साथ देश भी सन्न रह गया. इस दौरान संसद और देश में सिर्फ दो ही चीज चर्चा में थी, तीनों सांसदों का सरकार पर आरोप और ₹1 करोड़ के नोटों के बंडल को लहराना.

जानिए क्या था नोट के बदले वोट कांड:

BJP के तीनों सांसद फग्गन सिंह, महावीर भगौरा और अशोक अर्गल ने कहा कि, “समाजवादी पार्टी के महासचिव रहे अमर सिंह और कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी अहमद पटेल ने उन्हें ये ₹1 करोड़ का बंडल दिया था”.

₹1 करोड़ देने के बाद तीनों सांसदों से कहा गया कि वो विश्वासमत में हिस्सा नहीं लें. आपको बता दें कि इस दुनिया में अब ना तो अहमद पटेल हैं और ना ही अमर सिंह. खैर इसके बाद दोनों ही नेताओं ने BJP के सांसदों की तरफ से लगाए गए आरोप को सिरे से नकार दिया और खुद को निर्दोष करार दिया.

BJP के सांसदों के आरोप उस वक्त के लोकसभा अध्यक्ष रहे सोमनाथ चटर्जी ने दिल्ली पुलिस को मामले की जांच करने का आदेश दिया.

पुलिस की जांच के बाद बरी हो गए मुख्य आरोपी:

कैश फॉर वोट कांड की जांच दिल्ली पुलिस ने बड़ी ही गहनता से की और मामले में मुख्य आरोपी बाई इज्जत बरी हो गए.

दिल्ली पुलिस ने कैश फॉर वोट कांड मामले में नया मोड़ उस वक्त दिया जब उन्होंने BJP के वरिष्ठ और कद्दावर नेता लाल कृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी रहे सुधींद्र कुलकर्णी और सपा महासचिव अमर सिंह को मामले का मास्टरमाइंड बताया.

कैश फॉर वोट मामले में दिल्ली पुलिस ने BJP के तीनों सांसदों फग्गन सिंह, महावीर भगौरा और अशोक अर्गल को आरोपी बनाया. इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने स्वर्गीय अमर सिंह के पूर्व सहयोगी संजीव सक्सेना को छोड़कर बाकी सभी आरोपियों को बरी कर दिया.

कैश फॉर वोट कांड पर कोर्ट ने क्या कहा?

स्पेशल कोर्ट ने अपने आदेश में साफ-साफ कहा कि, “अमर सिंह पर संदेह तो है लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला तो दोषी साबित नहीं हो पाए”. सुधींद्र कुलकर्णी के बारे में कोर्ट ने कहा कि, “सांसदों की एक न्यूज चैनल की टीम से भेंट कराई, जिससे सांसदों की खरीद-फरोख्त का खुलासा करने की कवरेज की जा सके जो गैरकानूनी नहीं है”. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की तरफ से आरोपी बनाए गए BJP के तीनों सांसदों पर कोई टिप्पणी नहीं की थी.

बताया जाता है कि लोगों को अचंभित करने वाले इस कांड में सोहेल हिन्दुस्तानी नाम का एक और आरोपी था, जिस पर कोर्ट ने कहा कि, “सोहेल हिन्दुस्तानी के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि वो इस गैर कानूनी काम में शामिल था”.

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