राम विवाह महोत्सव के जश्न में डूबा जनकपुर

by | 6 Dec 2024, 10:46:pm

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का विवाहोत्सव हो और दशों दिशाओं में अलौकिक ऊर्जा ना हो ऐसा तो बिलकुल संभव नहीं हो सकता है. जनकपुरी में रोशनी और खुशियां ऐसी हैं कि मानों सभी देव इस वक्त धरती पर बसेरा डाल चुके हैं.

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की बारात अयोध्या से चलकर जनकपुरी पहुंच चुकी है. जय सियाराम के जयकारों की आवाज इस वक्त नेपाल से लेकर अयोध्या तक सुनाई दे रही है. जनकपुरी में गाजे-बाजे, हाथी-घोड़े पर सवार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम माता सीता को ब्याहने पहुंचे हैं.

अयोध्या से अपने आराध्य की बारात में आए श्रद्धालुओं का उत्साह इस वक्त सातवें आसमान पर है.

अयोध्या से जनकपुर पहुंची बारात

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का विवाह पंचमी के दिन होता है. वैदिक रीति रिवाज के साथ जनकपुरी में आज राम विवाह संपन्न होगा. अपने आराध्य के विवाह में शामिल होने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव, VHP नेता चंपत राय और महापौर गिरीश पति त्रिपाठी के नेतृत्व में एक दल जनकपुरी में है, जिसने विवाह पंचमी कार्यक्रम में भाग लिया.

सीताराम विवाह महोत्सव को लेकर पुरी जनकपुर राममय हो चुका है. महिलाओं ने गीत गाकर बारातियों का स्वागत किया. आपको बता दें कि 500 बाराती इस वक्त अयोध्या से जनकपुर गए हैं.

नेपाल के जनकपुर में श्री सीताराम विवाह महोत्सव सनातन धर्म के रीति-रिवाज के साथ 1 दिसंबर से लेकर 6 दिसंबर तक मनाया जा रहा है. जिसमें फुलवारी मिलन, तिलकौर, मटकोर के साथ धनुष तोड़ने और स्वयंवर जैसी रस्मों को पूरा किया जाता है.

इस परंपरा को सन् 1960 से लगातार मनाया जा रहा है, वहीं पुराणों के अनुसार ये परंपरा त्रेता युग से मनाई जा रही है. इसमें अयोध्या के साधु-संत और जनकपुर धाम के साधु-संतों के बीच समन्वय होता है, जिससे यह महोत्सव सफल बनाया जाता है.

अयोध्या आए थे मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह

18 नवंबर को मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह अयोध्या आए थे. जनकपुर से भारी संख्या में लोग अयोध्या मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का तिलकोत्सव करने आए थे. मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री ने जब नेपाल कैबिनेट से अयोध्या जाने की सहमति मांगी तो सभी ने चुप्पी साध ली थी. लेकिन मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह ने सभी प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए, आस्था को ऊपर रखते हुए और नेपाल की हिन्दू राष्ट्र की पहचान को ऊपर रखते हुए अयोध्या पहुंचे थे.

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