पजांब का वह शक्तिपीठ जहां गिरा माता सती का बायां वक्ष, जानें मान्यता !

by | 11 Dec 2024, 7:40:pm

शक्तिपीठ हिंदू धर्म में वह पवित्र स्थान है, जहां देवी शक्ति यानि माता सती के शरीर के अंग गिरे थे. शक्तिपीठ धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं और इनकी पूजा श्रद्धा और आस्था का प्रमुख केंद्र मानी जाती है.

भारत में कुल 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं, जिनमें पंजाब का एक शक्तिपीठ भी शामिल है. पंजाब का शक्तिपीठ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज, संस्कृति और इतिहास के लिहाज से भी अहम भूमिका निभाता है. यहाँ की पूजा-पद्धतियाँ, साधना और आस्थाएँ लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है.

यह शक्तिपीठ श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक हैं, जहाँ हर व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए आता है. तो चलिए जानते है पंजाब के उस शक्तिपीठ के बारे में और उसकी मान्यता के बारे में-

पंजाब में स्थित त्रिपुरामालिनी शक्तिपीठ

पंजाब का प्रमुख शक्तिपीठ त्रिपुरामालिनी शक्तिपीठ जालंधर के श्रीदेवी तालाब मंदिर में स्थापित है. 200 साल पुराना यह मंदिर स्तनपीठ के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर माता सती का बायां वक्ष गिरा था, त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है, जो विशेष रूप से देवी दुर्गा के रूप त्रिपुरमालिनी को समर्पित है.

इस स्थान की खासियत है, कि देवी का बायां वक्ष कपडे से ढका हुआ है त्रिपुरामालिनी मंदिर तालाब के बीचों-बीच स्थित है. त्रिपुरामालिनी शक्तिपीठ में माता की तीन मूर्तियां विराजमान है. ये तीनों मूर्तियां मां दुर्गा, मां सरस्वती, माता लक्ष्मी की है.

त्रिपुरामालिनी शक्तिपीठ का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

पंजाब का शक्तिपीठ विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ देवी दुर्गा, पार्वती और अन्य देवियों की पूजा की जाती है. श्रद्धालु यहाँ अपने दुखों और पापों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं. यह स्थान उनके लिए मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग होता है.

यहाँ की पूजा विधियाँ और साधना से व्यक्ति मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त करता है.

त्रिपुरामालिनी शक्तिपीठ का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व

पंजाब में शक्तिपीठों का एक सामाजिक महत्त्व भी है. यह स्थान न केवल धार्मिक क्रियाकलापों का केंद्र होते हैं, बल्कि यहाँ पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेले, और उत्सव भी आयोजित होते हैं. ये आयोजन स्थानीय संस्कृति को संजीवनी प्रदान करते हैं और समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं.

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3 Comments

  1. Anupama

    Good information

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    • Yatii Singh

      Thanks

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  2. Shikha

    Great

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