हिन्दू धर्म में प्रत्येक माह कोई ना कोई तीज-त्योहार होता है. जिसमें महिलाएं साजो-सज्जा से त्योहार और व्रत मनाती है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत भी एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जो प्रतिमाह के प्रत्येक त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. यह व्रत विशेष रूप से शिव जी की पूजा के लिए किया जाता है.
प्रदोष व्रत को खासतौर पर सोमवार, मंगलवार और शनिवार के दिन बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है, लेकिन यह प्रत्येक माह की किसी भी त्रयोदशी तिथि को किया जा सकता है.
प्रदोष व्रत रखने की तिथि और समय
मान्यताओं में प्रदोष व्रत की कथा भी बहुत प्रसिद्ध है, जो भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति की महिमा को उजागर करती है. यह व्रत विशेष रूप से शिव भक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है. इस साल यानि साल 2024 का आखिरी प्रदोष व्रत मार्गशीष महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी यानि 12 दिसंबर को रात 10 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 13 दिसंबर शाम 07 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगा.
प्रदोष व्रत रखने से मिलेगी समृद्धि
मान्यताओं में जो भी जातक प्रदोष व्रत का सच्चे समन से पालन करता है, उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. प्रदोष व्रत से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त होते हैं, और उसे सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति होती है.साथ ही, यह व्रत मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है.

प्रदोष व्रत रखने की सरल विधि
प्रत्येक जातक को व्रत प्रारंभ करने से पहले शुद्ध होकर स्नान करना चाहिए, फिर व्रत का आरंभ भगवान शिव के शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करें, साथ ही भगवान शिव को बेलपत्र, दीपक, धूप, और मिठाई अर्पित करें. पूजा करते समय भगवान शिव का ध्यान करते हुए “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे” मंत्र का जप करें। व्रत के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना भी बहुत शुभ माना जाता है.एक बात का विशेष ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है.प्रदोष व्रत का समय सूर्यास्त से लेकर आधी रात तक माना जाता है.
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