देश में कोविड-19 के बाद अब जापानी इंसेफेलाइटिस का कहर शुरू हो गया है। इंसेफेलाइटिस, एक जापानी बीमारी है, जो काफी खतरनाक साबित हो सकती है। डेंगू बुखार की तरह यह बिमारी भी मुख्य रूप से मच्छर के काटने से फैलती है. बर्ड फ्लू की तरह ही यह बीमारी भी इंसानों में जानवरों से फैलती है, जिसका नाम जापानी इंसेफेलाइटिस बुखार है. इस बीमारी का एक मामला सामने आया है. इससे सावधानी बरतना जरूरी है।
पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर के 72 वर्षीय एक व्यक्ति में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का एक अलग मामला सामने आया है। मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है। हालांकि, अधिकारियों ने शहर में कोई प्रकोप न होने की पुष्टि की है. बता दें कि राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय लागू किए गए हैं, साथ ही अधिकारियों ने निवासियों से न घबराने की अपील की है. आइए जानतें हैं क्या है ये बीमारी और इसका इलाज क्या है?
जापानी इंसेफेलाइटिस क्या है?
स्वास्थ्य जानकारों के मुताबिक जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) एक वायरल बीमारी है, जो जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (जेईवी) के कारण होती है। यह वायरस मच्छरों से फैलता है, साथ ही जानवरों, पक्षियों, सूअरों से भी फैल सकता है। यानी अगर मच्छर इस वायरस से संक्रमित जानवरों को काट ले और फिर किसी मनुष्यों को काट ले, तो ऐसी स्थिति में वायरस इंसान के शरीर में चला जाता है, जो जापानी इंसेफलाइटिस बुखार का कारण बनता है।
जापानी इंसेफेलाइटिस के क्या लक्षण होते हैं ?
जेई के लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के 5 से 15 दिनों के बाद दिखाई देते हैं. लक्षण इसके इस प्रकार हैं-
- 1. बुखार
- 2. सिरदर्द
- 3. मांसपेशियों में दर्द
- 4. सिर दर्द के साथ उल्टी
- 5. दौरे पड़ना
जापानी इंसेफेलाइटिस की पहचान कैसे होती है?
जेई की पहचान के लिए सेरेब्रोस्पाइनल फ्लुइड (सीएसएफ) टेस्ट किया जाता है। ब्लड टेस्ट में जेईवी के प्रति एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है।
ये बुखार अगर दिमाग में चला जाता है, तो इसको कंट्रोल करना मुश्किल होता है। ये इतना ज्यादा खतरनाक होता की ये मौत का कारण भी बन सकता है। ज्यादातर ये बुखार बच्चों पर अटैक करता है। इस बीमारी की मृत्यु दर (सीएफआर) काफी ज्यादा है, और जो लोग बच जाते हैं वे न्यूरोलॉजिकल सीक्वेल की कई डिग्री से पीड़ित हो सकते हैं।
जापानी इंसेफेलाइटिस का कैसे करें बचाव और क्या है इसका इलाज ?
आमतौर पर इस बीमारी से बचने के लिए लोगों को पूरे ढके वाले कपड़े पहनने, मच्छरदानी, कीटनाशक और विकर्षक का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा इससे बचाव के लिए खड़े पानी और नालियों को साफ करना चाहिए और अपने घरों के आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए। इसके साथ ही जेई से बचने के लिए टीकाकरण करवाने की सलाह दी जाती है। आपको बता दें कि जिन क्षेत्रों में जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (जेईवी) प्रचलित है, वहां भारतीय यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) में इसके खिलाफ एक टीका शामिल किया गया है।
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