बच्चे जब पुलिसकर्मियों को देखते हैं तो बातें जो उनके मन में दो बात सबसे पहले आती है वो ये कि, गाली और मार दोनों पड़ने वाली है।
अयोध्या के पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय में तैनात यूपी पुलिस के सब इंस्पेक्टर रणजीत यादव ने इस माहौल को बदलकर रख दिया है।
सब इंस्पेक्टर को बच्चे आज सुपर कॉप और खाकी वाले गुरुजी के नाम से जानते हैं। इनसे बच्चे दूर नहीं भागते बल्कि इनके पास रहना चाहते हैं, बात करना चाहते हैं और शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं।
सुपर कॉप को किया गया सम्मानित
सब इंस्पेक्टर रणजीत यादव को देश का प्रतिष्ठित स्वामी ब्रह्मानन्द पुरस्कार-2023 से सम्मानित किया गया। जनपद हमीरपुर के राठ क्षेत्र में स्थित स्वामी ब्रह्मानन्द महाविद्यालय के अखंड मन्दिर सभागार में आयोजित भव्य कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद्मश्री भारत भूषण त्यागी व विशिष्ट अतिथि सीताराम लोधी वेलमैन ऑफ इंडिया ने स्वामी ब्रह्मानन्द की कांस्य प्रतिमा,कांस्य मेडल, सनद,सम्मान राशि 10 हजार रुपये नगद व समिति के सदस्य नरेश राजपूत, डॉ सुरेंद्र सिंह, सचिव नरेंद्र सिंह द्वारा अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
पुरस्कार को बताया सबसे बड़ी निधि
पुरस्कार पाकर लौटे सब इंस्पेक्टर रणजीत यादव को पुलिस महानिरीक्षक अयोध्या परिक्षेत्र अयोध्या प्रवीण कुमार ने बधाई और शुभकामनाएं दी। रणजीत यादव ने बताया कि “यह पुरस्कार मेरे जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह पुरस्कार हमें समाज के प्रति और भी जिम्मेदार होने का बोध कराएगा। हमीरपुर वासियों द्वारा जिस प्रकार से स्वागत और सम्मान दिया गया वह आजीवन अविस्मरणीय रहेगा। इस पुरस्कार का श्रेय अपनी पूजनीय दादी, माता-पिता,गुरुजनों, परिवार, मित्रों व अपनी कड़ी मेहनत को देता हूँ। इस पुरस्कार हेतु मेरे नाम का प्रस्ताव भेजने के लिए साकेत कॉलेज के छात्र ऋषभ शर्मा और अपना स्कूल के सहयोगी साथियों का आभार व्यक्त करता हूँ!
ब्रह्मानन्द पुरस्कार क्यों दिया जाता है?
स्वामी ब्रह्मानन्द पुरस्कार समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष शिक्षा क्षेत्र में अनुकरणीय एवं उत्कृष्ट कार्य करने वाले एक व्यक्ति को स्वामी ब्रह्मानंद जी के निर्वाण दिवस तेरह सितम्बर को दिया जाता है। इस वर्ष खाकी वाले गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध सब इंस्पेक्टर रणजीत यादव को इस पुरस्कार से नवाजा गया है। आज़मगढ़ के भदसार गांव के मूल निवासी रणजीत यादव अपनी ड्यूटी को वरीयता देते हुए अयोध्या के जयसिंहपुर वार्ड में खुले आसमान के नीचे उन बच्चों को शिक्षा से दे रहे हैं जो पहले घाटों और मंदिरों आसपास भिक्षावृत्ति में संलिप्त थे। झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले मलिन बस्ती के इन बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने और उनके समग्र विकास के अनुरूप नवम्बर 2021 से अपना स्कूल नाम से समावेशी ज्ञान उपलब्ध करा रहे हैं।
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