आज हम बात करतेंं हैं यूपी के सबसे खास जिले गौतमबुद्धनगर में स्थित उस मंदिर के बारे में जहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटा है। यहां जो भी आया है उसकी हर मुराद बाबा ने पूरी की है।
ग्रेटर-नोएडा के बिसरख में मौजूद भगवान शिव का वो मंदिर जहां पर रावण अपने भाईयों और बहनों के साथ पूजा करता था।
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जिसने भी सच्ची आस्था से गुहार लगाई है ‘महाकाल’ ने उसकी हर मुराद को पूरा किया है।
मंदिर के महंत रामदास बताते हैं कि रावण के पिता ने लंका को कुबेर को दे दिया था लेकिन रावण ने बिसरख में मौजूद शिवलिंग के सामने तपस्या कर भगावन शिव को प्रसन्न किया और कुबेर की लंका पर कब्जा कर लिया।
भगवान शिव के मंदिर में जाने वाले Oneteo कंपनी के ओनर संजीव कुशवाहा का कहना है कि, “मंदिर से निकलने के बाद मुझमें जो ऊर्जा का प्रवाह हुआ है वो कभी-कभी ही होता है”।
प्राचीन सुरंग की कहानी
भगवान शिव के एक बहुत पुरानी सुरंग भी है जिसे अब बंद कर दिया गया है। महंत रामदास ने बताया कि रावण के पिता इसी सुरंग के जरिए गाजियाबाद में स्थित भगवान शिव के मंदिर दूधेश्वर नाथ जाया करते थे।
उपेक्षाओं का शिकार होती जन्मस्थली
इस मंदिर में भक्तों को तांता लगा रहता है लेकिन ये मंदिर उपेक्षाओं का शिकार भी हो रहा है, भारतीय पुरातत्व विभाग ये तो मानता है कि ये शिवलिंग प्राचीन है लेकिन, इसके संरक्षण के लिए न तो सरकार और न ही नोएडा अथॉरिटी की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।
मंदिर की तरफ जाने वाले रास्ते पर गंदगी का अंबार लगा रहता है और वहीं मंदिर के आस-पास कुछ अराजकतत्वों ने कब्जा भी कर रखा है। मंदिर की तरफ जाने वाले रास्ते पर आज भी फिट भर गड्ढे देखने को मिल जाएंगे।
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